फिल्म निर्माण प्रक्रिया को रहस्य से मुक्त करना आवश्यक : प्रसून जोशी…
फिल्म निर्माण प्रक्रिया को रहस्य से मुक्त करना आवश्यक : प्रसून जोशी…
पणजी, 22 नवंबर । जानेमाने लेखक और गीतकार प्रसून जोशी ने कहा है कि फिल्म निर्माण प्रक्रिया को रहस्य से मुक्त करना आवश्यक है।
55 वें भारतीय अंतररुष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में गुरूवार को ‘मास्टरक्लास द जर्नी फ्रॉम स्क्रिप्ट टू स्क्रीन: राइटिंग फॉर फिल्म एंड बियॉन्ड’ को संबोधित करते हुए प्रसून जोशी ने कहा कि सच्चा कंटेंट भाषा से बंधा नहीं होता और इस तरह से हम कह सकते हैं कि सबसे अच्छी कविता मौन में होती है, क्योंकि मौन एक ऐसी शाश्वत ध्वनि है जो हमें जोड़ती है। मौन ही सर्वोत्तम भाषा है। हमें फिल्म बनाने की प्रक्रिया को रहस्यमय नहीं बनाना चाहिए। फिल्मों में रहस्य हो सकता है लेकिन फिल्म निर्माण प्रक्रिया में नहीं।
प्रसून जोशी ने कहा, “मेरी मां कविता में कठिन शब्दों के मेरे प्रयोग पर टिप्पणी करती थीं, जिससे मेरी लेखन शैली में बदलाव आया और में ऐसा लिखने में सक्षम हुआ जो पाठकों को पसंद आए और जिससे सिर्फ मुझे ही संतुष्टि न मिले।मैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को हल्के में नहीं लेता। यह रचनात्मक क्षेत्रों में सबसे पहले प्रभाव डाल रहा है, जबकि इसे इन क्षेत्रों में बाद में आना चाहिए था। हमें यह याद रखना होगा कि गणित पर केंद्रित जो कुछ भी है, उसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस गणितीय प्रक्रियाओं को तो समझा सकता है, लेकिन यदि किसी की कविता या कहानी किसी सच्चाई से उत्पन्न होती है तो एआई उस अनुभव को नहीं पैदा कर सकता। एआई के हावी होने से रचनाकार प्रभावित हो रहा है, न कि सृजन।”
प्रसून जोशी ने कहा कि हमें कहानी कहने की प्रक्रिया को कुछ बड़े शहरों तक सीमित नहीं रखना चाहिए। उन्होंने क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो (सीएमओटी) का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि हमें भारत की असली कहानियां दिखानी हैं तो फिल्म निर्माण को देश के सबसे दूरदराज हिस्सों तक पहुंचाना होगा ,जिससे मुफ़स्सिल इलाकों से कहानीकार उभर सकें। हम छोटे शहरों और कस्बों की कहानियों को तब तक प्रभावी ढंग से नहीं बता सकते जब तक कि उन जगहों से फ़िल्म निर्माता नहीं निकलेंगे। यदि आप चाहते हैं कि भारत की सच्ची कहानियाँ सामने आएँ, तो आपको फ़िल्म निर्माण को देश के सबसे दूर के कोने में रहने वाले लोगों तक पहुंचाना होगा।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट