शहरी क्षेत्र में मांग घटने से एफएमसीजी कंपनियों के ‘मार्जिन’ में गिरावट, बढ़ा सकती हैं दाम…
शहरी क्षेत्र में मांग घटने से एफएमसीजी कंपनियों के ‘मार्जिन’ में गिरावट, बढ़ा सकती हैं दाम…
नई दिल्ली, 04 नवंबर । रोजमर्रा के उपभोग का सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनियों के मार्जिन में सितंबर तिमाही में ऊंची उत्पादन लागत तथा खाद्य मुद्रास्फीति की वजह से गिरावट आई है। इससे अंतत: शहरी क्षेत्रों में खपत प्रभावित हुई है।
एफएमसीजी कंपनियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सामान मसलन पाम तेल, कॉफी और कोको के दाम बढ़ गए हैं। ऐसे में अब कुछ एफएमसीजी कंपनियों ने कीमतें बढ़ाने का संकेत दिया है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल), गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल), मैरिको, आईटीसी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (टीसीपीएल) ने शहरी खपत में कमी पर चिंता जताई है।
उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, एफएमसीजी क्षेत्र की कुल बिक्री में शहरी खपत की हिस्सेदारी 65-68 प्रतिशत रहती है।
जीसीपीएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुधीर सीतापति ने दूसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा के मौके पर कहा, ‘‘हमें लगता है कि यह एक अल्पकालिक झटका है और हम विवेकपूर्ण मूल्य वृद्धि और लागत को स्थिर करके मार्जिन को ठीक कर लेंगे।’’ सिंथोल, गोदरेज नंबर-वन, हिट जैसे उत्पाद बेचने वाली जीसीपीएल ने भारत में तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और उपभोक्ता मांग में कमी के बावजूद एक स्थिर तिमाही प्रदर्शन किया है।
खास बात यह है कि ग्रामीण बाजार, जो पहले पीछे थे, ने शहरी बाजारों की तुलना में अपनी वृद्धि की रफ्तार को कायम रखा है।
एक अन्य एफएमसीजी कंपनी डाबर इंडिया ने भी कहा कि सितंबर तिमाही में मांग का माहौल चुनौतीपूर्ण था, जिसमें ‘उच्च खाद्य मुद्रास्फीति और शहरी मांग में कमी’ शामिल थी। डाबर च्यवनप्राश, पुदीन हरा और रियल जूस बनाने वाली कंपनी ने तिमाही के दौरान एकीकृत शुद्ध लाभ में 17.65 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है और यह 417.52 करोड़ रुपये रहा है। इस दौरान कंपनी की परिचालन आय 5.46 प्रतिशत घटकर 3,028.59 करोड़ रुपये रही है।
हाल ही में, नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने भी एफएमसीजी क्षेत्र में गिरावट पर चिंता जताई और कहा कि ‘मध्यम खंड’ दबाव में है क्योंकि उच्च खाद्य मुद्रास्फीति ने घरेलू बजट को प्रभावित किया है।
खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि के बारे में नारायणन ने कहा कि फल और सब्जियों तथा तेल की कीमतों में ‘तेज उछाल’ आया है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर कंपनियों के लिए कच्चे माल की लागत का प्रबंधन मुश्किल हो जाएगा तो इससे कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। जहां तक कॉफी और कोको की कीमतों का सवाल है, हम खुद एक मुश्किल स्थिति का सामना कर रहे हैं।’’
नेस्ले इंडिया के पास मैगी, किट कैट और नेस्कैफे जैसे ब्रांड का स्वामित्व है। कंपनी की बिक्री वृद्धि मामूली 1.2 प्रतिशत रही है।
टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लि. (टीसीपीएल) के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुनील डिसूजा ने भी कहा कि शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ता खर्च प्रभावित हुआ है। सितंबर तिमाही के लिए कंपनी के नतीजों की घोषणा के मौके पर डिसूजा ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि खाद्य मुद्रास्फीति शायद हमारी सोच से अधिक है और इसका प्रभाव कहीं अधिक है।’’
एचयूएल के सीईओ और प्रबंध निदेशक रोहित जावा ने कहा कि इस तिमाही में बाजार की मात्रा वृद्धि सुस्त रही है।
जावा ने कह, ‘‘स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है कि हाल की तिमाहियों या तिमाही में शहरी वृद्धि प्रभावित हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में धीमी वृद्धि जारी है और अब पिछली कुछ तिमाहियों से यह शहरी क्षेत्र से आगे है और इस बार भी शहरी क्षेत्र से आगे है।’’
एचयूएल के पास सर्फ, रिन, लक्स, पॉन्ड्स, लाइफबॉय, लक्मे, ब्रुक बॉन्ड, लिप्टन और हॉर्लिक्स जैसे ब्रांड का स्वामित्व है। सितंबर तिमाही में एचयूएल के एकीकृत शुद्ध लाभ में 2.33 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
इसी तरह, मैरिको ने भी मांग में सालाना आधार पर ग्रामीण क्षेत्र में शहरी क्षेत्र की तुलना में दोगुना वृद्धि दर्ज की है।
एक अन्य एफएमसीजी कंपनी आईटीसी ने लागत में बढ़ोतरी की वजह से मार्जिन में 0.35 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। कंपनी के पास आशीर्वाद, सनफीस्ट, बिंगो, यिप्पी जैसे ब्रांड का स्वामित्व है।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट