अडाणी ने 1.2 अरब डॉलर में मुंद्रा स्थित तांबा संयंत्र के पहले चरण का परिचालन किया शुरू…

अडाणी ने 1.2 अरब डॉलर में मुंद्रा स्थित तांबा संयंत्र के पहले चरण का परिचालन किया शुरू…

नई दिल्ली, । उद्योगपति गौतम अडाणी नीत समूह ने गुजरात के मुंद्रा में दुनिया के सबसे बड़े एकल-स्थान तांबा विनिर्माण संयंत्र का पहला चरण शुरू करने की बृहस्पतिवार को घोषणा की। कच्छ कॉपर, समूह की प्रमुख कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की अनुषंगी कंपनी है।

कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘‘ग्राहकों को कैथोड की पहली खेप भेजकर ग्रीनफील्ड कॉपर रिफाइनरी के पहले चरण का (लागत 1.2 अरब डॉलर में) परिचालन शुरू किया गया।’’ बयान के अनुसार, सुविधा के पहले चरण का संचालन शुरू हो गया है। इसमें प्रति वर्ष पांच लाख टन परिष्कृत तांबे का उत्पादन होगा। वित्त वर्ष 2029 (मार्च 2029) तक इसके पूरी तरह चालू होने पर 10 लाख टन तांबे का उत्पादन करने की उम्मीद है।

भारत, चीन और अन्य देशों की सूची में शामिल हो गया है जो तेजी से तांबे का उत्पादन बढ़ा रहे हैं। यह जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल कम करने के लिए महत्वपूर्ण धातु है। ऊर्जा बदलाव के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों जैसे इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, सौर फोटोवोल्टिक्स (पीवी), पवन और बैटरी सभी में तांबे की आवश्यकता होती है। अडाणी एंटरप्राइजेज दो चरणों में 10 लाख टन क्षमता का संयंत्र लगा रही है।

अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी ने कहा, ‘‘कच्छ कॉपर (तांबा संयंत्र) का परिचालन शुरू होने के साथ अडाणी समूह न केवल धातु क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है, बल्कि भारत को एक स्थायी तथा आत्मनिर्भर भविष्य की ओर ले जा रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस महत्वाकांक्षी, भव्य-आकार की परियोजना को पूरा करने की हमारी गति भारत को वैश्विक तांबा क्षेत्र में अग्रणी बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। हमारा मानना है कि घरेलू तांबा उद्योग परिपक्व पर्यावरणीय प्रबंधन के साथ हमारे हरित बुनियादी ढांचे को मजबूत करके 2070 तक हमारे देश के कार्बन तटस्थता के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। चालू होने पर हमारा आधुनिक ‘स्मेल्टर’ नवीन हरित प्रौद्योगिकी पर अधिक जोर देने के साथ, तांबे के उत्पादन में नए मानक स्थापित करेगा।’’

कंपनी के अनुसार, ‘‘ग्रीनफील्ड इकाई की सफल प्रगति अडाणी समूह की बड़े पैमाने की परियोजनाओं की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने की क्षमता को दर्शाती है। कच्छ कॉपर दूसरा चरण पूरा होने पर 10 लाख टन वार्षिक क्षमता के साथ, दुनिया का सबसे बड़ा एकल-स्थान ‘कस्टम स्मेल्टर’ होगा।’’ इससे रोजगार के 2,000 प्रत्यक्ष तथा 5,000 अप्रत्यक्ष अवसर उत्पन्न होंगे। भारत में प्रति व्यक्ति तांबे की खपत करीब 0.6 किलोग्राम अनुमानित है, जबकि वैश्विक औसत 3.2 किलोग्राम है।

दीदार ए हिन्द की रपोर्ट

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