लैंगिक विविधता, समावेशन सिर्फ आदर्शवादी बातें नहीं, बल्कि एक रणनीतिक जरूरत: आईटी उद्योग..

लैंगिक विविधता, समावेशन सिर्फ आदर्शवादी बातें नहीं, बल्कि एक रणनीतिक जरूरत: आईटी उद्योग..

नई दिल्ली, 08 मार्च । भारतीय आईटी उद्योग में शुरुआती और मध्य स्तर के कार्यबल में अब अधिक महिलाओं की भागीदारी के साथ लैंगिक विविधता में महत्वपूर्ण प्रगति देखी जा रही है।

प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज हस्तियों के अनुसार हालांकि शीर्ष स्तर और पुरुष प्रधान कॉरपोरेट निदेशक मंडलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी कम है और इस दिशा में बहुत काम करने की ज़रूरत है।

विशेषज्ञों ने कहा कि अगर कोई संगठन लैंगिक समानता की दिशा में सक्रिय रूप से काम नहीं करता है तो उसके लंबे व्यावसायिक जीवन काल की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि महिलाएं अपनी व्यक्तिगत प्रतिबद्धताओं के साथ ही व्यावसायिक जिम्मेदारियां भी अच्छी तरह निभा रही हैं।

इनवो8 कोवर्किंग के संस्थापक रितेश मलिक ने कहा, ”महिलाओं की शिक्षा के लिहाज से भारत का प्रदर्शन बुरा नहीं है। आज हमारे देश में 29.5 प्रतिशत इंजीनियर महिलाएं हैं, जो ऑस्ट्रेलिया (14.5 प्रतिशत) और ब्रिटेन (16.9 प्रतिशत) जैसे देशों की तुलना में बहुत अधिक है।”

बिड़लासॉफ्ट की सीएफओ कामिनी शाह का मानना है कि भारतीय आईटी उद्योग ने लैंगिक विविधता में महत्वपूर्ण प्रगति देखी है और 20 लाख से अधिक महिलाएं अब कार्यबल में योगदान दे रही हैं।

एनआईआईटी लिमिटेड की मानव संसाधन प्रमुख मीता ब्रह्मा के अनुसार ज्यादातर संगठनों में वरिष्ठ कार्यकारी स्तर और बोर्ड स्तर पर महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए अभी भी बहुत काम करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ”अब हमारे पास कनिष्ठ और मध्य कार्यकारी स्तरों पर पहले से कहीं अधिक संख्या में महिलाएं हैं। ये प्रतिबद्ध, नवोन्वेषी और महत्वाकांक्षी हैं। आज यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि बोर्डों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व हो।”

उन्होंने कहा कि अगर किसी संगठन में समान लैंगिक प्रतिनिधित्व नहीं है, तो उसका जीवन काल लंबा नहीं हो सकता है।

दूसरी ओर जोहो कॉरपोरेशन की कार्यक्रम प्रबंधक श्यामला रमेश ने कहा कि प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कई महिलाएं बीच में ही करियर छोड़ देती हैं, क्योंकि उन्हें वैसा समर्थन नहीं मिलता, जिसकी उन्हें जरूरत है।

उन्होंने कहा कि कामकाजी महिलाओं की जिम्मेदारियां पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से कई गुना बढ़ गई हैं। महिलाओं को यह साबित करने के लिए दोगुनी मेहनत करने की जरूरत है कि वे अपने पुरुष समकक्ष से कम नहीं हैं।

शिव नादर विश्वविद्यालय (दिल्ली-एनसीआर) की कुलपति अनन्या मुखर्जी ने कहा कि 146 देशों के एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 29.2 प्रतिशत है। इस अंतर को भरना बहुत जरूरी है।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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