भाजपा की विभीषण पर नजर
मध्य प्रदेश में भाजपा की विभीषण पर नजर
भोपाल, 19 दिसंबर। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी में पिछले समय में हुए उपचुनावों में मिले अनुभव के आधार पर आगामी रणनीति पर मंथन तेज हो गया है। अब भाजपा की नजर अपनी ही पार्टी के उन विभीषण पर है, जो आने वाले चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
राज्य में भाजपा का जमीनी तैयारी पर लगातार जोर बढ़ता जा रहा है क्योंकि आने वाले समय में पहले पंचायत और उसके बाद नगरीय निकाय के चुनाव होना है। यह ऐसे चुनाव हैं जो किसी भी राजनीतिक दल के जनाधार को ज्यादा मजबूती प्रदान करते हैं, इसलिए भाजपा भी इन चुनावों को लेकर गंभीर है।
भाजपा के सूत्रों का कहना है कि लगभग डेढ़ साल सत्ता से बाहर रहने के बाद पार्टी के हाथ में जब प्रदेश की कमान आई और फिर जो भी विधानसभा और लोकसभा के चुनाव हुए हैं, उन्होंने पार्टी को कई सबक दिए हैं। दमोह विधानसभा और रैगांव विधानसभा का उपचुनाव पार्टी को बड़ी सीख दे गया है क्योंकि इन दोनों उपचुनाव के अलावा कई अन्य स्थानों पर पार्टी के भीतर के लोगों ने ही नुकसान पहुंचाया, परिणाम स्वरुप पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
एक तरफ जहां पार्टी की नजर ऐसे लोगों पर है जो अंदरूनी तौर पर चुनाव के मौके पर नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं, तो वही ऐसे लोगों के भी क्रियाकलापों को तलाशा जा रहा है जो गाहे-बगाहे कांग्रेस नेताओं के साथ खड़े नजर आते हैं।
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वर्तमान में भाजपा के सतना जिले के मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी पार्टी की लाइन के खिलाफ अपनी बात कह रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने रेत और पत्थर के अवैध खनन का मामला उठाया तो उसके ठीक बाद विधायक त्रिपाठी ने भी इस मसले को हवा देते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिख डाला।
एक तरफ जहां पार्टी भीतर से मुखर हो रहे स्वरों पर नजर रखे हुए हैं तो वहीं पंचायत चुनाव में भितरघात करने वालों पर अभी से नजर रखने की तैयारी है। पार्टी की पंचायत चुनाव के लिए बनाई गई संचालन समिति की बैठक में भी इस बात पर जोर दिया गया कि चुनाव भले ही गैर दलीय आधार पर हो रहे हो मगर एक स्थान पर पार्टी के दो लोग आमने-सामने न हो यह ध्यान रखना संगठन के मंडल स्तर के पदाधिकारियों का काम है।
भाजपा की बड़ी चिंता यह है कि पार्टी के अंदर पार्टी के कुछ नेता विरोधी दल कांग्रेस के नेताओं के पीछे छुप कर पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश लगातार करते आ रहे हैं। इसका असर संगठन और सरकार पर सीधे तौर पर पड़ रहा है। ऐसे लोगों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की भी पार्टी के रणनीतिकार सलाह दे रहे हैं।
पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के भीतर ही बढ़ती विभीषण की संख्या पर चिंता जताते हुए कहा है कि अगर समय रहते संगठन ने सख्त कदम नहीं उठाए तो वर्ष 2023 के विधानसभा और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में यह पार्टी के लिए बड़ा नासूर साबित हो सकते हैं।
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