पत्थरबाजों और हिंसक आंदोलन करने वालों पर लगाम कसने की तैयारी
मप्र में पत्थरबाजों और हिंसक आंदोलन करने वालों पर लगाम कसने की तैयारी
भोपाल, 09 दिसंबर। मध्य प्रदेश भी अब उत्तर प्रदेश की राह पर चलने जा रहा है। अब यहां पत्थरबाजी और हिंसक आंदेालन करने वालों की लगाम कसने की तैयारी है। जो भी लोग सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुॅचाएंगे, अब उससे नुकसान की वसूली की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार नया कानून बनाने जा रही है। उधर, कांग्रेस को इस कानून में राजनीतिक आंदेालनों को दबाने की मंशा नजर आती है।
राज्य में पिछले कुछ अरसे में इंदौर के सांवेर, उज्जैन व भेापाल में पथराव के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा सरकारी और निजी संपत्तियों केा नुकसान पहुॅचाए जाने की भी कोशिश हुई है। उसके बाद से ही सरकार के स्तर पर एक सख्त कानून बनाए जाने को लेकर मंथन का दौर जारी है। इसी क्रम में सरकार ने लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान का निवारण व नुकसानी की वसूली विधेयक-2021 लाने की तैयारी है, जो आगामी विधानसभा सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा।
राज्य के गृहमंत्री डा नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि प्रदेश सरकार एक नया कानून लाने जा रही है। कानून का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। कानून लागू होने के बाद लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने वालो से वसूली की जाएगी।
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बताया गया है कि उपद्रवियों से संपत्ति को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए तैयार कानूनी ड्राफ्ट को मंजूरी के लिए आगामी कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा। कैबिनेट के अनुमोदन के बाद इसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। विधानसभा से पारित होने के बाद प्रदेश में लोक एवं निजी सम्पत्ति को नुकसान का निवारण एवं नुकसानी की वसूली विधेयक, 2021 लागू हो जाएगा।
बताया गया है कि सरकार द्वारा तैयार किये गये ड्राफ्ट में दावा अधिकरण के गठन का भी प्रावधान किया गया है। इस अधिकरण द्वारा व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह के द्वारा साम्प्रदायिक दंगा, हड़ताल, बन्द, प्रदर्शन, मार्च, जुलूस, सड़क यातायात अवरूद्ध करना या ऐसे किसी भी जमाव से, जिससे किसी सम्पत्ति को नुकसान हो, ऐसे कृत्य से हुए नुकसान का निर्धारण किया जाएगा। इस अधिकरण को सिविल न्यायालय की समस्त शक्तियाँ प्राप्त होंगी। राशि की वसूली के अतिरिक्त आपराधिक प्रकरण अलग से दर्ज किया जा सकेगा।
कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि यह कानून पूरी तरह राजनीति से प्रेरित ह। यह विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शनों को दबाने की मंशा से लाया जा रहा है, क्योंकि अभी हाल में ऐसा कोई हिंसक आंदोलन तो हुआ नहीं है जिसमें संपत्ति को नुकसान हुआ हो। उसके बावजूद, इस तरह का कानून लाने का मकसद सिर्फ विपक्ष के लोकतांत्रिक अधिकार को दबाने की मंशा के अलावा कुछ भी नहीं है। हमारे यहां हिंसा और तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ तो पहले से ही कानून है, फिर यह नया कानून क्यों, यह बड़ा सवाल है।
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