तबाह हो चुके गाजा को दोबारा खड़ा करेगा अमेरिका, 9.3 लाख करोड़ में स्मार्ट सिटी बनेगी गाजा

तबाह हो चुके गाजा को दोबारा खड़ा करेगा अमेरिका, 9.3 लाख करोड़ में स्मार्ट सिटी बनेगी गाजा

वाशिंगटन, 28 दिसंबर । गाजा युद्ध से पूरी तरह तवाह हो चुका है अब अमेरिका इसे दोबारा खड़ा करने के लिए एक बहुत बड़ी योजना पेश की है। इस योजना के तहत गाजा को करीब 9.3 लाख करोड़ (112 अरब डॉलर) की लागत से एक आधुनिक स्मार्ट सिटी में बदला जाएगा। इसमें से लगभग 5 लाख करोड़ (60 अरब डॉलर) की मदद अमेरिकी सरकार देगी। इस प्रोजेक्ट में लग्जरी रिसॉर्ट, बीच होटल और हाई-स्पीड ट्रेन जैसी सुविधाएं बनाने की बात कही गई है। इस योजना को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दामाद जैरेड कुशनर और अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ ने तैयार किया है। इसे ‘प्रोजेक्ट सनराइज’ नाम दिया गया है। इसका मकसद सिर्फ गाजा को मलबे से बाहर निकालना नहीं, बल्कि उसे एक आधुनिक, तकनीक से चलने वाला और अंतरराष्ट्रीय स्तर का शहर बनाना है। निवेशक देशों के सामने इस प्रोजेक्ट को 32 स्लाइड की पावरपाइंट प्रेजेंटेशन के जरिए दिखाया जा रहा है। ट्रम्प ने इसी साल फरवरी में ्रढ्ढ वीडियो जारी कर बताया था कि स्मार्ट सिटी बनने के बाद गाजा कैसा दिखेगा।
अमेरिकी प्लानिंग के मुताबिक गाजा के भूमध्यसागर तट पर लग्जरी बीच रिसॉर्ट, फाइव स्टार होटल, मरीना और एंटरटेनमेंट जोन बनाए जाएंगे ताकि इसे एक ग्लोबल टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाया जा सके। शहर के अंदर सफर के लिए हाई-स्पीड ट्रेन नेटवर्क, चौड़ी और आधुनिक सडक़ें और मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित किया जाएगा। बिजली की समस्या से जूझ रहे गाजा में एआई से चलने वाला स्मार्ट पावर ग्रिड लगाया जाएगा, जिसमें सोलर और अन्य नवीकरणीय एनर्जी का इस्तेमाल होगा। इसके साथ ही गाजा को एआईआधारित स्मार्ट सिटी बनाने की बात है, जहां डिजिटल गवर्नेंस, ई-गवर्नेस सिस्टम, डेटा प्लेटफॉर्म और एक चीफ डिजिटल ऑफिस होगा। व्यापार और रोजगार बढ़ाने के लिए फ्री ट्रेड जोन, इंटरनेशनल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट, टेक्नोलॉजी हब, इनोवेशन लैब और स्टार्टअप सेंटर भी बनाए जाएंगे, ताकि गाजा को लोकल इकोनॉमिक हब बनाया जा सके।
मेगा प्रोजेक्ट चलेगा एक दशक
मेगा प्रोजेक्ट के तहत अगले 10 सालों में चरणबद्ध तरीके से खर्च किया जाएगा। अमेरिका करीब 5 लाख करोड़ की राशि ग्रांट और कर्ज की गारंटी के रूप में देगा, जबकि बाकी पैसा खाड़ी देशों, यूरोप और दूसरे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से जुटाया जाएगा। इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर आगे बढ़ाने की तैयारी है। हालांकि इस योजना के सामने कई बड़ी चुनौतियां भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती करीब 20 लाख फिलिस्तीनियों के पुनर्वास की है। जब गाजा में निर्माण शुरू होगा, तो इतनी बड़ी आबादी को अस्थायी तौर पर दूसरी जगह बसाना पड़ेगा। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि उन्हें कहां रखा जाएगा। दूसरी बड़ी समस्या युद्ध के बाद जमा हुआ करोड़ों टन मलबा है, जिसे हटाने में अरबों डॉलर और लंबा समय लगेगा।
इजराइल के हमलों में 65 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों की हुई मौत
गाजा में राजनीतिक और सुरक्षा से जुड़ी दिक्कतें भी कम नहीं हैं। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की एक शर्त हमास का निरस्त्रीकरण है। लेकिन मौजूदा हालात में हमास का इसके लिए तैयार होना मुश्किल माना जा रहा है, जिससे इस पूरी योजना के अमल पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। गौरतलब है कि पिछले दो साल से चल रहे गाजा युद्ध में इजराइल के हवाई और जमीनी हमलों से अब तक 65 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे हैं। करीब 23 लाख की आबादी वाले गाजा में से लगभग 20 लाख लोग बेघर हो चुके हैं, यानी करीब 90त्न आबादी को अपना घर छोडऩा पड़ा है। ऐसे हालात में अमेरिका की यह योजना गाजा को एक नई शुरुआत देने का दावा करती है, लेकिन इसे जमीन पर उतारना बेहद चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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