चीनी हथियार भी बचा नहीं पाएंगे, 114 राफेल डील से पाकिस्तान में खौफ, एक्सपर्ट ने दी चेतावनी..
चीनी हथियार भी बचा नहीं पाएंगे, 114 राफेल डील से पाकिस्तान में खौफ, एक्सपर्ट ने दी चेतावनी..
इस्लामाबाद,। भारतीय वायुसेना के लिए 114 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को सौंपे जाने के बाद पाकिस्तान में सुरक्षा चिंताएँ तेज हो गई हैं। यह प्रस्ताव—जिसकी लागत दो लाख करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है, फ्रांसीसी डसॉ्टो एविएशन और भारतीय एयरोस्पेस कंपनियों के सहयोग से विमानों के उत्पादन का मार्ग खोल सकता है। अगर यह सौदा पूरा हुआ तो भारतीय वायुशक्ति में पर्याप्त वृद्धि होगी, जिसकी पाकिस्तान पर दूरगामी रणनीतिक और सामरिक प्रभाव पड़ सकते हैं।
रक्षा विश्लेषण मंच कुवा के संस्थापक बिलाल खान का इस संबंध में कहना रहा है, कि 114 अतिरिक्त राफेलों के जुड़ने से भारत की वायुशक्ति का नेटवर्क बेहद मजबूत हो जाएगा और यह पाकिस्तान वायुसेना (पीएएफ) के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है। खान ने बताया कि भारत के पास 2020 से 36 राफेल हैं और इसी साल अप्रैल में नौसैनिक वेरिएंट के लिए 26 विमानों का सौदा भी हुआ था। ये आधुनिक विमान भारतीय विमानन नेटवर्क में तेजस (एलसीए) और सुखोई-30एमकेआई जैसे हैवीवेट विमानों के साथ मिलकर निर्णायक बढ़त दिला सकते हैं।
खान के अनुसार, मौजूदा पाकिस्तानी बेड़े—जिसमें जेएफ-17 थंडर, एफ-16 और मिराज 3/वी शामिल हैं, इन नई चुनौतियों का सामना सीधे तौर पर कर पाने में असमर्थ साबित हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चीन से पांचवीं पीढ़ी के जे-35 स्टील्थ विमान मिल जाने की स्थिति में भी पाकिस्तान के लिए राफेल की बराबरी करना कठिन होगा।
इस्लामाबाद को अब हवाई सेनानी विमानों पर निर्भरता पुनर्विचार करनी होगी, का दावा खान ने किया। उन्होंने सुझाव दिया है कि पाकिस्तान को जेएफ-17 ब्लॉक-3 का उत्पादन बढ़ाना चाहिए क्योंकि यह केएलजे-7ए एईएसए रडार और पीएल-15 लंबी दूरी की मिसाइलों से लैस है और सीमित संसाधनों में उपयोगी विकल्प हो सकता है। साथ ही उन्होंने स्वदेशी मानवरहित लड़ाकू विमानों (उकाव्स) जैसे बुराक के उत्पादन, सटीक निगरानी-संवेदन, एवं जमीन आधारित लंबी दूरी रॉकेट आर्टिलरी को प्राथमिकता देने की बात कही।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर राफेलों की यह बड़ी खेप आ जाती है तो पाकिस्तान को न केवल ऑपरेशनल टैक्टिक्स बदलनी होंगी, बल्कि अपने सामरिक ढांचे और समन्वय क्षमताओं को भी नया आकार देना होगा। वहीं, भारत के लिए यह सौदा सीमावर्ती वायुक्षेत्र में निर्णायक श्रेष्ठता हासिल करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट


