पहलगाम हमले के बहाने कैसे हुई देश की सबसे डिजिटल ठगी, 47 दिन तक चला खेल…
पहलगाम हमले के बहाने कैसे हुई देश की सबसे डिजिटल ठगी, 47 दिन तक चला खेल…

नई दिल्ली, 23 सितंबर। दिल्ली में एक सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी, नरेश मल्होत्रा, के साथ हुई एक सनसनीखेज साइबर ठगी की घटना सामने आई है। साइबर अपराधियों ने 47 दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ के जरिए उन्हें डराकर लगभग 23 करोड़ रुपये ठग लिए। माना जा रहा है कि यह दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश का अब तक का सबसे बड़ा ‘डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड’ है।
कैसे शुरू हुआ ठगी का खेल?
यह धोखाधड़ी 1 अगस्त को शुरू हुई, जब एक महिला ने खुद को एयरटेल कर्मचारी बताया और नरेश मल्होत्रा से कहा कि मुंबई में उनके लैंडलाइन नंबर का उपयोग 1,300 करोड़ रुपये की टेरर फंडिंग के लिए किया गया है, जिसका संबंध पुलवामा आतंकी हमले से है। इसके बाद, कुछ लोगों ने खुद को मुंबई पुलिस और राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारी बताते हुए उन्हें धमकाया। उन्होंने वीडियो कॉल पर मल्होत्रा से बात की, उन्हें एक व्यक्ति की तस्वीर दिखाकर पूछा कि क्या वह उसे जानते हैं।
डर के मारे मल्होत्रा ने ठगों के निर्देशों का पालन करना शुरू कर दिया। अपराधियों ने उन्हें गिरफ्तारी वारंट और चार्जशीट जैसे फर्जी दस्तावेज भेजे, जिससे वे और अधिक डर गए। इसके बाद, उनसे उनके घर, बैंक खातों, सावधि जमा, शेयर निवेश और लॉकर से जुड़ी सभी जानकारी माँगी गई।
‘डिजिटल अरेस्ट’ और धन हस्तांतरण
ठगों ने मल्होत्रा को धमकाया कि अगर उन्होंने किसी को भी इस बारे में बताया तो उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत छह महीने के लिए हिरासत में लिया जाएगा। उन्हें यह भी बताया गया कि उनकी हर गतिविधि पर 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है। धीरे-धीरे, अपराधियों ने उन्हें यह विश्वास दिलाया कि उनके सभी बैंक खातों की जाँच की जाएगी और यदि वे सहयोग करेंगे तो उन्हें परेशानी से बचाया जाएगा।
फर्जी अधिकारियों के निर्देशों पर, नरेश मल्होत्रा ने अपने शेयर निवेश को भुनाकर 12.84 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। इसके अलावा, उन्होंने अपने बचत खाते से 14 लाख रुपये और अन्य खातों में 9.90 करोड़ रुपये स्थानांतरित किए। सितंबर तक, उन्होंने कुल 22.92 करोड़ रुपये खो दिए थे।
जब हुआ धोखाधड़ी का एहसास
4 सितंबर को, एक नए फर्जी अधिकारी ने खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का अधिकारी बताया और कहा कि उनका मामला ईडी को स्थानांतरित कर दिया गया है। उसने उन्हें सुप्रीम कोर्ट का एक कथित आदेश दिखाते हुए कहा कि उनका पैसा तभी वापस होगा जब वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में 5 करोड़ रुपये और जमा करेंगे। जब मल्होत्रा ने मना किया तो ठगों ने उन्हें कथित आदेश की एक फर्जी कॉपी भेजी, जिस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश के नकली हस्ताक्षर थे।
इस स्थिति में, नरेश मल्होत्रा ने हिम्मत जुटाकर कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर आत्मसमर्पण करना चाहते हैं। इसके बाद, साइबर अपराधियों ने उनसे संपर्क तोड़ दिया। तब जाकर मल्होत्रा को एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और अब तक लगभग 2.5 करोड़ रुपये की राशि को जब्त कर लिया है। इस घटना से यह साफ है कि साइबर अपराधी आम लोगों के डर का फायदा उठाकर उन्हें बड़े पैमाने पर ठगी का शिकार बना रहे हैं।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

