वैश्विक अयप्पा सम्मेलन: पिनरई बोले- सबरीमाला पर झूठा प्रचार बंद हो, मंदिर की आमदनी से एक रुपया नहीं लेती सरकार.

वैश्विक अयप्पा सम्मेलन: पिनरई बोले- सबरीमाला पर झूठा प्रचार बंद हो, मंदिर की आमदनी से एक रुपया नहीं लेती सरकार.

पठानमथिट्टा (केरल), 20 सितंबर । केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने शनिवार को कहा कि यह जानबूझकर झूठ फैलाया जा रहा है कि सरकार सबरीमाला में किसी अल्पसंख्यक बैठक की योजना बना रही है। उन्होंने कहा, इस तरह का प्रचार केवल लोगों को गुमराह करने की एक राजनीतिक चाल है। पत्रकारों का काम है कि वह सच्चाई को ईमानदारी से सामने रखे, लेकिन कुछ लोग जानबूझकर झूठ फैलाते हैं। एक सुनियोजित झूठ कुछ लोगों को गुमराह कर सकता है, लेकिन सच्चाई हमेशा स्पष्ट रहती है। विजयन पठानमथिट्टा में वैश्विक अयप्पा सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने आगे कहा, हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि 2031 तक केरल को कैसे आगे ले जाना है, खासकर जब हम केरल के एकीकरण की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इसी क्रम में अक्तूबर में 33 विभागीय सेमिनार होंगे, जिनकी मेजबानी संबंधित मंत्री करेंगे। इन सेमिनार से यह पता चलेगा कि केरल ने अब तक कितनी प्रगति की है और विकास की दिशा में आगे कैसे बढ़ना है।

विजयन ने कहा, कोरोना संकट के समय में देवस्वम बोर्ड की रोजमर्रा की गतिविधियां भी मुश्किल में आ गई थीं। उस समय सरकार ने 140 करोड़ रुपये की मदद की। इसके अलावा, 129 करोड़ रुपये मंदिरों की मरम्मत के लिए दिए। 2011-12 से अब तक सबरीमाला मास्टर प्लान के तहत करीब 148 करोड़ रुपये विकास परियोजनाओं पर खर्ज किए गए हैं। हाल ही में सन्निधानम और पांबा में भी कार्यों को मंजूरी दी गई है। 2016-17 से 2025 तक देवस्वम संस्थानों के आधुनिकीकरण और विकास के लिए 680 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित की गई है, जिसमें त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड के लिए 145 करोड़ रुपये, कोचीन देवस्वम बोर्ड के लिए 26 करोड़ रुपये, मालाबार देवस्वम बोर्ड के लिए 35 करोड़ रुपये, और पद्मनाभस्वामी मंदिर सहित अन्य संस्थानों के लिए अतिरिक्त राशि शामिल है। फिर भी यह झूठ फैलाया जाता है कि सरकार मंदिरों की आय ले रही है। सच्चाई यह है कि मंदिरों की आमदनी से सरकार ने एक भी रुपया नहीं लिया है। इसके विपरीत, सरकार लगातार मंदिरों की गतिविधियों को बनाए रखने, कर्मचारियों को वेतन देने और विकास कार्यों के लिए वित्तीय सहायता देती रही है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा, कुछ लोग सवाल करते हैं कि अब इस तरह तरह के आयोजन क्यों किए जा रहे हैं। इसका जवाब आसान है- समय बदल चुका है और भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए अब व्यापक और उच्च स्तर की सोच की जरूरत है। कुछ लोग तो अदालत तक चले गए थे ताकि ऐसे आयोजन रुक जाएं, लेकिन यह स्पष्ट है कि उनका उद्देश्य भक्ति नहीं था। यह मांग करना कि मंदिरों का प्रबंधन केवल श्रद्धालुओं को सौंपा जाए, इतिहास को नजरअंदाज करना है। यही श्रद्धालु पहले देवस्वम बोर्ड की मांग कर रहे थे,क्योंकि उस समय मंदिर बुरी हालत में थे। इन बोर्डों ने मंदिरों को फिर से खड़ा किया, कर्मचारियों का वेतन सुनिश्चितकिया और पूजा स्थलों को टूटने से बचाया।

उन्होंने कहा, सबरीमाला का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अद्वितीय है और इसे पूरी दुनिया के सामने पेश किया जाना चाहिए। यह जरूरी है कि यह तीर्थस्थल पूरी दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए अधिक सुलभ बने और बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए इसके विकास कार्य आगे बढ़ें। हमारा लक्ष्य है कि यात्रा कम थकाऊ हो और दुनियाभर के श्रद्धालु आसानी से यहां आकर पूजा करके सुरक्षित लौट सकें। इसके लिए ट्रांसपोर्ट सिस्टम से लेकर वर्चुअल कनेक्टिविटी तक हर संसाधन का इस्तेमाल होना चाहिए। हर भाषा में जानकारी और पंजीकरण सहायता केंद्र उपलब्ध होने चाहिए। अफसोस की बात है कि कुछ लोग इन प्रयासों को गलत तरीके से पेश करके समाज में भ्रम और विभाजन पैदा कर रहे हैं,जो सबरीमाला और उसके श्रद्धालुओं के हित के खिलाफ है।

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