फ्रांस में मस्जिदों के बाहर मिले सूअरों के सिर, मुस्लिम समुदाय में गहरी चिंता…

फ्रांस में मस्जिदों के बाहर मिले सूअरों के सिर, मुस्लिम समुदाय में गहरी चिंता…

पेरिस, फ्रांस की राजधानी पेरिस और उसके आसपास मंगलवार को नौ मस्जिदों के बाहर सूअरों के कटे हुए सिर मिलने से पूरे देश में हड़कंप मच गया। इन सिरों में से पाँच पर राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का नाम लिखा हुआ था। यूरोप की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश फ्रांस (करीब 60 लाख) में इस घटना ने साम्प्रदायिक तनाव की आशंका को और गहरा कर दिया है।

मुस्लिम समुदाय की सुरक्षा को लेकर आश्वासन
इस्लाम में सूअर को अपवित्र माना जाता है और उसका मांस खाना वर्जित है। ऐसे में इस घटना ने मुस्लिम समुदाय को झकझोर दिया है। फ्रांसीसी गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलेउ ने कहा, “मैं चाहता हूँ कि हमारे मुस्लिम देशवासी शांति और सुरक्षा के साथ अपने धर्म का पालन करें। सरकार उनकी रक्षा के लिए हर कदम उठाएगी।”

विदेशी साजिश का शक
पेरिस पुलिस प्रमुख लॉरेंट नुनेज़ ने आशंका जताई कि यह घटना किसी विदेशी ताकत की साजिश का हिस्सा हो सकती है, जिसका उद्देश्य फ्रांस को अस्थिर करना है। उन्होंने कहा कि पिछली घटनाओं की तरह इसमें भी विदेशी हस्तक्षेप से इनकार नहीं किया जा सकता। हालाँकि उन्होंने सीधे तौर पर किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन संकेत रूस की ओर माना जा रहा है।

रूस पर शक क्यों?
मई में यहूदी प्रार्थना स्थलों और नरसंहार स्मारक को हरे रंग से रंगने के मामले में तीन सर्बियाई नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था, जिनके संबंध एक विदेशी शक्ति से जुड़े बताए गए थे। इसी पृष्ठभूमि में अब मस्जिदों को निशाना बनाए जाने की घटना भी उसी पैटर्न का हिस्सा मानी जा रही है। पेरिस अभियोजक कार्यालय ने पुष्टि की है कि राजधानी की चार और बाहरी इलाकों की पाँच मस्जिदों के बाहर सूअरों के सिर मिले हैं। इनमें से एक स्थान पर राष्ट्रपति मैक्रों का उपनाम नीले रंग से लिखा गया था।

राजनीतिक संकट के बीच घटना
यह घटना ऐसे समय हुई है जब फ्रांस गहरे राजनीतिक और आर्थिक संकट से गुजर रहा है। राष्ट्रपति मैक्रों ने हाल ही में रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है, जिन्हें विभाजित संसद में सहमति बनाने और 2026 का बजट पारित कराने की चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि मस्जिदों को इस तरह निशाना बनाए जाने से न केवल मुस्लिम समुदाय में असुरक्षा की भावना बढ़ेगी, बल्कि पहले से जारी राजनीतिक अस्थिरता और साम्प्रदायिक तनाव भी और गहरा सकते हैं।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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