चुनाव आयोग पार्टियों की ओर से केवल उनके द्वारा अधिकृत व्यक्तियों की चिठ्ठी-पत्री पर ही गाैर करेगा…

चुनाव आयोग पार्टियों की ओर से केवल उनके द्वारा अधिकृत व्यक्तियों की चिठ्ठी-पत्री पर ही गाैर करेगा…

नई दिल्ली, 02 जुलाई। चुनाव आयोग ने फैसला किया है कि वह राजनीतिक दलों की ओर से चिठ्ठी-पत्री में उनका प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले ऐसे व्यक्तियों की बात पर ही गौर करेगा जिन्हें दल के प्रमुखों द्वारा आयोग से संपर्क के लिए बाकायदा अधिकृत किया गया
होगा।
इस बीच आयोग के अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि बिहार में मतदाता सूचियों के ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ के विषय में बातचीत के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव और पार्टी द्वारा दी गयी दोनों अधिकारिक मेलों पर को 30 जून को निमंत्रण भेजा गया था। इन मेल में उन्हें आज शाम पांच बजे का समय दिया गया था।
आयोग के अधिकारियों ने बताया कि पार्टी की ओर से आज की बैठक के बारे में उन्हें सुबह तक कोई पुष्टि नहीं की गयी है।
अधिकारियों के अनुसार फिलहाल आयोग आज शाम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर सकता है। इस बैठक के लिए इस पार्टी ने अपनी सहमति की पुष्टि कर दी है।
इस बीच आयोग ने कुछ राजनीतिक दलों की ओर से आयोग को 30 जून और दो जुलाई को मेल भेजने वाले उमर होदा को आज एक मेल करके कहा है, “भविष्य में, राजनीतिक दलों और आयोग के बीच किसी भी अनधिकृत संचार को रोकने के लिए, आपको उस राजनीतिक दल के प्रमुख से वैध प्राधिकरण प्रस्तुत करने की सलाह दी जाती है जिसका आप प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं।”
आयोग के सचिव ने श्री होदा को लिखा है, “मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि आपके 30 जून 2025 के ईमेल के अनुसार, उल्लिखित राजनीतिक दलों से प्राधिकरण का कोई सबूत न होने के बावजूद, आयोग ने संबंधित राजनीतिक दलों को 02 जुलाई 2025 को शाम 05:00 बजे का समय दिया था और पार्टियों के प्रमुखों से एक अधिकृत व्यक्ति के साथ उक्त बैठक में उनकी उपस्थिति की पुष्टि मांगी थी।”
इस मेल में कहा गया है कि अभी तक केवल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव ने ही इस संबंध में पुष्टि की है। इसलिए, आयोग आज शाम 05:00 बजे अधिकृत व्यक्ति के साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव से मिल रहा है।
आयोग ने इस मेल में श्री होदा को लिखा है कि उनके 30 जून को भेजे गए ईमेल में उल्लिखित अन्य राजनीतिक दलों के प्रमुखों से कोई पुष्टि नहीं मिली है। आयोग ने कहा है कि वह हमेशा राजनीतिक दलों के प्रमुखों या उनके अधिकृत प्रतिनिधियों से व्यक्तिगत रूप से या सामूहिक रूप से किसी भी समय आपसी सुविधा के अनुसार मिलने के लिए उपलब्ध है।
इस मेल में आयोग के सचिव ने पत्र मेल भेजने वाले को लिखा है कि भविष्य में, राजनीतिक दलों और आयोग के बीच किसी भी अनधिकृत पत्र या संदेश पर रोक लगाने के लिए उसको उस राजनीतिक दल के प्रमुख से वैध प्राधिकरण प्रस्तुत करने की सलाह दी जाती है जिसका वह प्रतिनिधित्व करना चाहता है।
आयोग के अधिकारियों ने यूनीवार्ता से कहा कि “बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण योजनाबद्ध तरीके से और सख्ती से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस बारे में कुछ तत्व तरह तरह की निराधार बातें फैला रहे हैं। लोगों को ऐसी बातों को को नज़रअंदाज़ करना चाहिए।
आयोग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार बिहार में मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण के काम में 243 निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों, 38 जिला निर्वाचन अधिकारियों, 9 संभागीय आयुक्तों और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा लगभग एक लाख प्रशिक्षित बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) और एक लाख से अधिक स्वयंसेवकों को लगाया जा रहा है।
इसके अलावा, ईसीआई द्वारा पंजीकृत और मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य राजनीतिक दलों ने प्रत्येक मतदान केंद्र के लिए 1.5 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) लगाए हैं। अभी भी समय है। उन्हें बाद में शिकायत करने के बजाय अभी और बीएलए नियुक्त कर लेने चाहिए।”
आयोग ने इस समीक्षा के लिए बिहार की 2003 की मतदाता सूची को आधार बनाया है जिससे करीब पांच करोड़ मतदाताओं और उनकी संततियों को अलग से कोई दस्तावेज नहीं जमा कराना पड़ेगा।
आायोग ने यह भी कहा कि कोई भी वयस्क नागरिक अपने स्थायी निवास स्थान वाले निर्वाचन क्षेत्र में वैध रूप से मतदान करने का पत्र होता है और इस तरह उसका नाम केवल वहां की सूची में ही दर्ज होना चाहिए।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

Related Articles

Back to top button