इंटरनेशनल डे फॉर स्ट्रीट चिल्ड्रन, बेघर बच्चों के हौसले को मान देने का दिन…
इंटरनेशनल डे फॉर स्ट्रीट चिल्ड्रन, बेघर बच्चों के हौसले को मान देने का दिन…
नई दिल्ली,। नेल्सन मंडेला कहा करते थे -‘बच्चे हमारी सबसे बड़ी संपत्ति हैं’। संपत्ति जो किसी भी देश का भविष्य हैं और उनकी खुशहाली देश की बेहतरी से जुड़ी होती है। ऐसी ही एक संपत्ति सड़कों के किनारे अपना बसेरा बनाकर जीवन गुजारने वाले बच्चों की है, जिन्हें स्ट्रीट चिल्ड्रन कहते हैं। बेघर बच्चे जो फुटपाथ पर तमाम मुश्किलातों को सहते हुए जिंदगी जीने का हौसला दिखाते हैं। 12 अप्रैल का दिन इन्हीं को समर्पित है।
दुनिया हर साल इस दिन को इंटरनेशनल डे फॉर स्ट्रीट चिल्ड्रन के रूप में मनाती है। इस साल का थीम है ‘पार्टिसिपेशन’ यानी सहभागिता या भागीदारी। इसका उद्देश्य स्ट्रीट चिल्ड्रन के विचारों को तरजीह देना है और उन्हें अपने बारे में फैसला करने का हक देना है।
यह विशेष दिन उन लाखों बच्चों के जीवन और अधिकारों पर प्रकाश डालता है जो अपने अस्तित्व के लिए सड़कों पर निर्भर हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उनके अधिकारों और आवाजों को पहचाना और सम्मान दिया जाए, चाहे वे दुनिया में कहीं भी हों।
सड़क पर रहने वाले बच्चों को न तो उचित शिक्षा मिलती है और न ही उनकी स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाएं मिल पाती हैं। इनकी चुनौतियां कम नहीं हैं। ये बच्चे अक्सर शोषण और दुर्व्यवहार का सामना करते हैं। 12 अप्रैल का दिन उनकी कहानियों और संघर्षों को मान देने का, उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए नीतियों और प्रथाओं में बदलाव लाने पर केंद्रित है।
इंटरनेशनल डे फॉर स्ट्रीट चिल्ड्रन की शुरुआत कंसोर्टियम फॉर स्ट्रीट चिल्ड्रन (सीएससी) ने की थी और इसे पहली बार 2011 में मनाया गया था। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सड़क से जुड़े बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उनकी ताकत को उजागर करना है। पिछले कई वर्षों से, सीएससी और दुनिया भर के विभिन्न संगठनों ने इस दिन का उपयोग सड़क पर रहने वाले बच्चों के अधिकारों के लिए अभियान चलाने और यह सुनिश्चित करने के लिए किया है कि उन्हें अनदेखा या भुलाया न जाए।
इस आयोजन का उद्देश्य नीति निर्माताओं और जनता को ऐसे उपाय करने के लिए प्रेरित करना है जो सड़क पर रहने वाले बच्चों को समाज में स्वीकृति बढ़ाएं और यह सुनिश्चित करना है कि उनके अधिकारों का सम्मान किया जाए।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट