स्वर्ग लोक की दौलत कमाना है..

स्वर्ग लोक की दौलत कमाना है..

कल रात मैंने एक सपना देखा सपने में-मैं और मेरा परिवार शिमला घूमने गए। हम सब शिमला की रंगीन वादियों में कुदरती नजारा देख रहे थे। जैसे ही हमारी कार सनसेट पॉइंट की ओर से निकली की अचानक हमारी गाडी के ब्रेक फेल हो गए और हम सब करीबन 1500 फिट गहरी खाई में जा गिरे। मेरी तो वहीं खाई में गिरते ही मौत हो गई। जीवन में कुछ अच्छे कर्म किये होंगे इसलिये यमराज मुझे स्वर्ग में ले गये ये देखकर में बहुत प्रसन्न हुआ।

देवराज इंद्र ने मुस्कुराकर मेरा स्वागत किया ओर मेरे हाथ में बैग देखकर पूछने लगे इसमें क्या है? मैंने कहा-‘इसमें मेरे जीवन भर की कमाई है, पांच करोड़ रूपये हैं। इन्द्र ने बी.आर.पी-16011966 नम्बर के लॉकर की ओर इशारा करते हुए कहा-आपकी अमानत इसमें रख दीजिये। मैंने भी बैग उसी में रख दीया।

मुझे एक कमरा भी दिया गया। मैं नहा धोकर तैयार होकर बाजार में निकला, देवलोक के शॉपिंग मॉल में अदभूत वस्तुएं देखकर मेरा भी मन ललचा गया। मैंने कुछ चीजें पसन्द करके अपनी टोकरी में डाली, और काउंटर पर जाकर उन्हें हजार हजार के करारे नोटें देने लगा। तब वहां के मेनेजर ने उन नोटों को देखकर कहा, अरे यह करेंसी यहां नहीं चलती। यह सुनकर मैं तो हैरान ही रह गया। मैंने इंद्र के पास इसकी शिकायत की इंद्र ने मुस्कुराते हुए कहा कि, आप तो व्यापारी होकर इतना भी नहीं जानते? कि आपकी करेंसी आपके पास के मुल्क पाकिस्तान, श्रीलंका और बांगलादेश में भी नही चलती। और आप मृत्यूलोक की करेंसी स्वर्गलोक में चलाने की मूर्खता कर रहे हो?

यह सब सुनकर मुझे तो मानो सांप सूंघ गया। मैं जोर जोर से दहाड़े मारकर रोने लगा, और परमात्मा से दरखास्त करने लगा, हे भगवान ये क्या हो गया? मैंने कितनी मेहनत से ये पैसा कमाया दिन को दिन नही देखा, रात को रात नही देखा, पैसा कमाया मां बाप की सेवा नही की, पैसा कमाया, बच्चों की परवरीश ठीक से नही की, पैसा कमाया, पत्नी की सेहत की ओर ध्यान नही दिया, पैसा कमाया, रिश्तेदार, भाईबन्द, परिवार और यार दोस्तों से भी,

किसी तरह की हमदर्दी न रखते हुए, पैसा कमाया, जीवन भर बस हाय पैसा हाय पैसा ही किया, ना चैन से सोया, ना चैन से खाया, बस, जिंदगी भर पैसा कमाया, और यह सब तो व्यर्थ ही चला गया? हाय राम, अब मेरा क्या होगा। इंद्र ने कहा, ‘रोने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। जिन जिन लोगो ने यहां जितना भी पैसा लाया, वो सब यहां आकर रद्दी हो गया।

जमशेद जी टाटा के 55 हजार करोड़ रूपये, बिरला जी के 47 हजार करोड़ रूपये, धीरू भाई अम्बानी के 29 हजार करोड़ अमेरिकन डॉलर। सबका पैसा यहां पड़ा है। मैंने इंद्र से पूछा-फिर यहां पर कौनसी करेंसी चलती है? इंद्र ने कहा-क्या तुमने धरती पर अगर कुछ अच्छे कर्म किये है। जैसे किसी दुखियारे को मदद की, किसी रोते हुए को हंसाया,

किसी गरीब बच्ची की शादी कर दी, किसी अनाथ बच्चे को पढ़ा लिखा कर काबिल बनाया। किसी को व्यसनमुक्त किया। किसी अपंग स्कुल, वृद्धाश्रम या मंदिरों में दान धर्म किया। ऐसे ही पूण्य कर्म करने वालों को यहां पर एक क्रेडिट कार्ड मिलता है। और वो उसे ही उपयोग कर आप यहां स्वर्गीय सुख का उपभोग ले सकते है।

मैंने कहा, भगवान मुझे यह पता नहीं था, इसलिए मैंने अपना यह जीवन तो व्यर्थ ही गंवा दिया। हे प्रभु, अगर हो सके तो मुझे थोडा आयुष्य दे दीजिये। और मैं गिड़गिड़ाने लगा, तो इंद्र को मुझ पर दया आ गई। इंद्र ने तथास्तु कहा और मेरी नींद खुल गयी। ओर मैं जाग गया। वैसे तो आप और हम सभी जानते हे की हम इस दुनिया में खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जायेंगे।

चाहे जितना भी धन कमा ले साथ कुछ नहीं ले जा सकते पर मेरे सपने में जो आया आप सब को बता दिया। मैंने तो तय कर लिया हे की अब से मैं वो दौलत भी कमाऊंगा जो वहां चलेगी। अब आप सब भी ये सोच ले आपको यहां कौन कौन सी दौलत कमाना हे?

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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