साइबर अपराध की बढ़त

साइबर अपराध की बढ़त

भारत सहित दुनियाभर में साइबर अपराध जिस तेजी से बढ़े हैं, उससे सरकारों की नींद उडऩा लाजिमी है। सूचना तकनीक के मामूली जानकार अपराधी साइबर थानों से लेकर डिजिटल विशेषज्ञों तक को हर मामले में छका दे रहे हैं। इसका प्रमाण हाल की वह घटना है जिसमें कुछ युवाओं ने मुस्लिम महिलाओं की ऑनलाइन नीलामी का ऐप बना कर साइबर जगत में उनकी बदनामी की कोशिश की। इन मामलों में जिन युवाओं की धरपकड़ हुई है, उनके बारे में मिली जानकारियां साइबर विशेषज्ञों और समाजशास्त्रियों को यह सोचने के लिए विवश कर रही हैं कि आखिर क्यों साइबर अपराध हमारे युवाओं को इस तरह अपनी ओर लुभा रहे हैं कि वे सही-गलत का फर्क नहीं कर पा रहे हैं। जब से महामारी

ने दुनिया को अपनी गिरफ्त में लिया है, साइबर अपराधियों की मानो लाटरी निकल आई है। चूंकि कोरोना काल में खरीदारी, पढ़ाई से लेकर ज्यादातर आर्थिक गतिविधियां बरास्ता इंटरनेट कंप्यूटर नेटवर्क के जरिए संपन्न हो रही हैं, ऐसे में उनमें सेंध लगाने के खतरे उतने ही बढ़ गए हैं। इस बारे में वैश्विक विश्लेषण अमेरिका की वेरिजान बिजनेस कंपनी ने किया। कंपनी ने मई 2021 में तैयार रिपोर्ट में बताया कि उसने वर्ष 2021

लिंक पर क्लिक कर पढ़िए ”दीदार ए हिन्द” की रिपोर्ट

कोविड-19 के 1,496 नए मामले सामने आए; सात संक्रमितों की मौत

में दौरान 88 देशों, बारह उद्योगों और तीन विश्व क्षेत्रों में फैले दायरे में 29 हजार इंटरनेट सुरक्षा संबंधी घटनाओं का विश्लेषण किया। इस विश्लेषण के आधार पर दुनिया भर में डाटा उल्लंघन यानी डिजिटल सेंधमारी के सवा पांच हजार मामले दर्ज किए गए। डिजिटल सेंधमारी में एक किस्म है फिशिंग की, यानी बैंकों के क्रेडिट कार्ड आदि की जानकारी चुरा कर रकम उड़ा लेना। दूसरी किस्म है- रैंसमवेयर यानी फिरौती की। इसमें लोगों, कंपनियों के कंप्यूटर नेटवर्क पर साइबर हमला कर उन्हें अपने कब्जे में ले लिया जाता है और इसके बदले में भारी-भरकम

फिरौती वसूली जाती है। विश्लेषण में पता चला है कि पिछले साल की तुलना में फिशिंग में 11 फीसद और रैंसमवेयर में छह फीसद की बढ़ोतरी हुई। सबसे ज्यादा मुश्किल उन लोगों के लिए है जिन्हें बैंकिंग, खरीदारी के वर्चुअल विकल्प मजबूरी में (जैसे कि कोरोना काल में) अपनाने पड़े हैं और जिन्हें इन साइबर उपायों की समझ एवं जानकारी बिल्कुल नहीं है। ऐसे लोग एटीएम से पैसे निकालने के लिए अक्सर अनजान लोगों की मदद लेते हैं और उन्हें अपने एटीएम का पिन नंबर तक बता डालते हैं। जाहिर है, डिजिटल प्रबंधों को जरूरी बनाने के साथ सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह कानून बनाने के साथ कड़ी सजाओं के प्रावधान भी करे और साइबर थानों में दर्ज हर शिकायत पर कार्रवाई सुनिश्चित करे। अभी तो आलम यह है कि साइबर पुलिस हील-हुज्जत के बाद शिकायत दर्ज करने के अलावा कोई और काम नहीं करती।

लिंक पर क्लिक कर पढ़िए ”दीदार ए हिन्द” की रिपोर्ट

समुद्र तट पर कार ने भोजनालय को टक्कर मारी, महिला की मौत

Related Articles

Back to top button