विकास अनुमान में भारी कटौती, 6.6 प्रतिशत दर से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था..
विकास अनुमान में भारी कटौती, 6.6 प्रतिशत दर से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था..
मुंबई, 06 दिसंब। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों के 5.4 प्रतिशत कर दर से बढ़ने के मद्देनजर आर्थिक विकास में आयी सुस्ती को ध्यान में रखकर भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष के विकास अनुमान को पहले के 7.2 प्रतिशत से 0.6 प्रतिशत कम कर 6.6 प्रतिशत कर दिया और आर्थिक गतिविधियों को गति देने के उद्देश्य से नकद आरक्षित अनुपात(सीआरआर) में 0.5 प्रतिशत की कटौती कर दी जिससे बैंकिंग तंत्र में 1.16 लाख करोड़ रुपये आ गये।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय पांचवी द्विमासिक बैठक के समापन पर शुक्रवार को जारी अपने बयान में कहा “ एमपीसी ने नोट किया कि अक्टूबर नीति के बाद से भारत में निकट अवधि की मुद्रास्फीति और विकास परिणाम कुछ हद तक प्रतिकूल हो गए हैं। हालांकि, आगे चलकर, रिजर्व बैंक के सर्वेक्षणों में परिलक्षित व्यापार और उपभोक्ता भावनाओं में वृद्धि के साथ-साथ आर्थिक गतिविधि में सुधार होने की संभावना है। मुद्रास्फीति में हाल ही में हुई वृद्धि मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण और अपेक्षाओं पर कई और अतिव्यापी झटकों के निरंतर जोखिमों को उजागर करती है। भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और वित्तीय बाजार में अस्थिरता ने मुद्रास्फीति के लिए और अधिक जोखिम बढ़ा दिया है। उच्च मुद्रास्फीति ग्रामीण और शहरी दोनों उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को कम करती है और निजी खपत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। एमपीसी ने जोर दिया कि उच्च विकास के लिए मजबूत नींव केवल टिकाऊ मूल्य स्थिरता के साथ ही सुरक्षित की जा सकती है। एमपीसी अर्थव्यवस्था के समग्र हित में मुद्रास्फीति और विकास के बीच संतुलन बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है। तदनुसार, एमपीसी ने इस बैठक में नीति रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। एमपीसी ने मौद्रिक नीति के तटस्थ रुख को जारी रखने का भी निर्णय लिया क्योंकि यह अवस्फीति और विकास पर प्रगति और दृष्टिकोण की निगरानी करने और उचित रूप से कार्य करने के लिए लचीलापन प्रदान करता है। एमपीसी स्पष्ट रूप से लक्ष्य के साथ मुद्रास्फीति के टिकाऊ संरेखण पर केंद्रित है, जबकि विकास का समर्थन करता है।”
उन्होंने कहा कि सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि अनुमान को पहले के 7.2 प्रतिशत से कम कर 6.6 प्रतिशत किया गया है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही 6.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही 7.2 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी है।। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 6.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। उन्होंने कहा कि सीआरआर में आधी फीसदी की कटौती गयी है और अब यह 4 प्रतिशत पर आ गया है जिससे बैंकिंग तंत्र में 1.16 लाख करोड़ रुपये आ गये हैं।
श्री दास ने कहा “ जैसा कि हम 2025 की दहलीज पर खड़े हैं, मुझे 2024 की घटनापूर्ण यात्रा पर विचार करने दें। पिछले कुछ वर्षों में चलन के अनुरूप, केंद्रीय बैंकों को एक बार फिर निरंतर, विशाल और जटिल झटकों के खिलाफ अपनी अर्थव्यवस्थाओं को स्थिर करने के लिए अंतिम परीक्षण के दौर से गुजरना पड़ा। केंद्रीय बैंक लगातार भू-राजनीतिक संघर्षों, भू-आर्थिक विखंडन, वित्तीय बाजार में अस्थिरता और निरंतर अनिश्चितताओं द्वारा निर्मित नए वैश्विक आर्थिक और वित्तीय परिदृश्य के अनुकूल हो रहे हैं, जो सभी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लचीलेपन का परीक्षण कर रहे हैं। उन्नत और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) दोनों के लिए मुद्रास्फीति की अंतिम मील लंबी और कठिन होती जा रही है। व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखना और बफर बनाना ईएमई के लिए दिशा-निर्देश बने हुए हैं। भारत में, विकास और मुद्रास्फीति के प्रक्षेपवक्र में हाल के विचलन के बावजूद, अर्थव्यवस्था प्रगति की ओर एक निरंतर और संतुलित पथ पर अपनी यात्रा जारी रखे हुए है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के नए स्वरूप के बीच, भारत उभरते रुझानों से लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है क्योंकि यह एक परिवर्तनकारी यात्रा पर आगे बढ़ रहा है।”
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट