लेबनान लौट रहे विस्थापित रो पड़ते हैं सूरत-ए-हाल देख..

लेबनान लौट रहे विस्थापित रो पड़ते हैं सूरत-ए-हाल देख..

बेरूत, 29 नवंबर। संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस की कोशिशों से लेबनान में बुधवार तड़के चार बजे से प्रभावी युद्ध विराम ने विस्थापन के टीस की चुभन और बढ़ा दी है। संघर्ष विराम के समझौते की डोर में बंधे इजराइल के सुरक्षा बलों और हिजबुल्लाह के आतंकवादियों की मिसाइलों और रॉकेटों का गरजना बंद हो चुका है। अमेरिकी समाचार पत्र द न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर में इस संघर्ष विराम को ‘असहज’ कहा गया है। ऐसा इसलिए कि इजराइल ने संघर्ष विराम समझौते की शर्तों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया और उसने आतंकवादियों को पलक झपकते ही हवाई हमला कर उनके मंसूबों को जमींदोज कर दिया। इसके बाद हिजबुल्लाह की तोपखाना शांत हो गया। मगर लेबनान की सेना ने कल इजराइल पर ‘कई बार’ संघर्ष विराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाकर युद्ध की शांत हो चुकी लपटों पर घी छिड़कने का काम किया है। इस बीच लेबनान के लगभग सभी हिस्सों में लोगों ने संघर्ष विराम का स्वागत किया। लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही जिंदगी पटरी पर लौटेगी। युद्ध की विभीषिका के बीच अपने घर-द्वार छोड़कर कस्बों और गांवों से भागे लोगों की वापसी शुरू हो चुकी है। कुछ को तो कोई घर ही नहीं मिला। कंक्रीट और मुड़ी हुई धातु के ढेर देखकर लोग रो पड़े।लेबनान की सेना ने गुरुवार को कहा कि लोगों की वापसी का मार्ग प्रशस्त करने के लिए बेरूत के बाहर और देश के दक्षिण और पूर्व में हिजबुल्लाह के गढ़ों में सेना भेजी गई है। मगर इजराइल की सेना ने लोगों को चेताया है। उसने कहा है कि सीमा के पास के गांवों में लौटना अभी खतरे से खाली नहीं है। न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर की अनुसार, इस युद्ध ने लेबनान की लगभग एक-चौथाई आबादी को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर किया। यह संघर्ष विराम 60 दिनों के लिए है। समझौते में लेबनान से इजराइली बलों की क्रमिक वापसी का आह्वान किया गया है। इजराइली सेना के अरबी भाषा के प्रवक्ता अविचाई अद्राई ने कहा कि जो निवासी सुदूर दक्षिण के शहरों से भाग गए हैं, उन्हें अगली सूचना तक लौटने का इंतजार करना चाहिए। अभी उन शहरों के भीतर आवाजाही प्रतिबंधित है। सेना इलाके में रात को कर्फ्यू लगा रही है।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

Related Articles

Back to top button