लापरवाही से मौत के मामले में अदालत ने सजा से ज्यादा मुआवजे को दी तवज्जो, पीड़ित पक्ष को दिलाया मुआवजा

लापरवाही से मौत के मामले में अदालत ने सजा से ज्यादा मुआवजे को दी तवज्जो, पीड़ित पक्ष को दिलाया मुआवजा

नई दिल्ली, 16 जनवरी। लापरवाही से मौत के 14 साल पुराने एक मामले में अदालत ने दोषी मकान मालिक को सजा देने की बजाय उस पर आर्थिक भार डालना उचित समझा। दरअसल, अदालत का मानना था कि यह मामला लापरवाही से मौत का है और इसमें दोषी पर लापरवाही का जुर्म साबित हुआ है परन्तु यह भी सत्य है कि इसके पीछे उसका जानबूझकर कोई मकसद नहीं है। वहीं इस मामले में डेढ़ दशक के करीब सुनवाई चली है। ऐसे में पीड़ित व आरोपी दोनों पक्षों को लम्बी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है। लिहाजा मुआवजे का रास्ता दोनों के लिए राहतभरा है।

कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस के मल्होत्रा की अदालत ने इस मामले में दोषी व्यक्ति की छह महीने की सजा को रद्द कर दिया है। दोषी मकानमालिक को दो साल की नेक चाल-चलनी पर छोड़ते हुए अदालत ने कहा कि पीड़ित परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर तबके से ताल्लुक रखते हैं। घटना जोकि लापरवाही की वजह से हुई,

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उसमें दोषी को सजा देकर पीड़ित परिवार को राहत नहीं दी जा सकती। लेकिन अगर उन्हें आर्थिक मदद दी जाए तो यह राहतभरा हो सकता है। वहीं, मृतक की पत्नी ने भी मुआवजे पर सहमति जताई। उसका कहना था कि वह दोषी मालिक पर कोई कार्रवाई नहीं चाहती। परिवार के लालन-पालन के लिए नकदी की जरूरत है।

अदालत ने दोषी मकान मालिक को निर्देश दिया है कि वह मृतक के परिवार को 50 हजार रुपये मुआवजे के तौर पर दे। इसके अलावा इस घटना में जख्मी हुए व्यक्ति को 15 हजार रुपये दे। वहीं अदालती सुनवाई पर खर्च आई रकम के तौर पर दस हजार रुपये जमा कराए। अभियोजन पक्ष के अनुसार यह घटना वर्ष 2008 में घटित हुई थी। एक मकान का लेंटर डाला जा रहा था। तभी लेंटर गिर गया जिसमें ठेकेदार की मौत हो गई थी, जबकि एक मजदूर जख्मी हुआ था।

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