रोजा रखना सब्र और शुक्र से जुड़ा है : डॉक्टर आमना
रोजा रखना सब्र और शुक्र से जुड़ा है : डॉक्टर आमना

नई दिल्ली, 03 मार्च जानी-मानी शिक्षाविद दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित श्यामा प्रसादमखर्जीव्र कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ आमना कहती हैं उपवास व्रत का का एक अनोखा आध्यात्मिक महत्व है। यह विभिन्न आस्थाओं और परंपराओं में पूजनीय है। लेकिन इसका अर्थ केवल भोजन पानी से दूरी नहीं है। इस को समग्र दृष्टिकोण से समझने की जरूरत है। आमना रहती हैं रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना है। यह मुसलमानों के लिए एक पवित्र महीना है। यह आध्यात्मिक नवीनीकरण, पुण्य प्राप्तिऔर कायाकल्प का समय है। रोजा रखना सब्र और शुक्र से जुड़ा है, यह एक तप है जो परम रब की चेतना को बढ़ाता है। व्यक्तिगत स्तर पर, यह स्वयं पर बेहतर नियंत्रण देता है। यह नफ़्स, आंतरिक इच्छाएँ, अहंकार को कमज़ोर करने में लाभदायक है। यह इबादत है जहां माफी, रहमत, बरकत की प्राथना अहम है। आमना रहती हैं इबादतगार का दिल दृष्टिकोण हमेशा सकारात्मक रहेगा इसीलिए सभी की खुशी और भलाई के लिए प्रार्थना कीजिए। इबादत केवल मौखिक नहीं, यह आत्मा की पवित्रता से जुड़ी है। इसीलिए यह ठीक ही कहा गया है कि इस दुनिया में वैसा ही जीवन जियो जैसे तुमने रमज़ान में बिताया था। चाहे कोई भी मुश्किल हो, अच्छे कर्मों और नेक कार्यों सहित जीवन में बरकत बनी रहती है।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट