राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने इजाद की नैनो सिलिका पार्टिकल्स तकनीक..
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने इजाद की नैनो सिलिका पार्टिकल्स तकनीक..

कानपुर, 14 जून । राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) कानपुर को चीनी उद्योग के कचरे से एक और मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने में सफलता मिली है। प्रो. नरेंद्र मोहन और डॉ. विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में कार्यरत सीनियर रिसर्च फेलो शालिनी कुमारी ने चीनी कारखानों में बॉयलरों की फ्लाईऐश (राख) से नैनो सिलिका पार्टिकल्स बनाने की तकनीक विकसित की है। वर्तमान में इस फ्लाईऐश का उपयोग आमतौर पर भूमि को भरने के लिए किया जाता है और चीनी मिलों मे सामान्यता इसे प्रदूषण का स्रोत भी माना जाता है।
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो. नरेन्द्र मोहन ने कहा कि चीनी कारखानों में ईंधन के रूप में खोई का उपयोग करने वाले बॉयलरों से प्राप्त फ्लाईऐश (राख) में सिलिका की मात्रा को देखते हुए हम पिछले दो वर्षों से इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। अब कम लागत वाली तकनीक विकसित करने में सफलता मिली है। नैनो सिलिका पार्टिकल्सकापेंट, लिथियमबैटरी, प्रदूषण उपचार में सोखने वाले स्रोत के रूप में जैव-प्रौद्योगिकी और जैव-चिकित्सा में और फसल सुधार के लिए नैनो उर्वरक के रूप में प्रयोग किया जाता हैं। नैनो सिलिका पार्टिकल्स का बाजार भाव वर्तमान में 700-1000 रूपये प्रतिकिलो है, एवं इस तकनीक से चीनी मिलों से अब सस्ता विकल्प उपलब्ध हो सकेगा।
प्रौद्योगिकी के बारे में बताते हुए शालिनी कुमारी ने कहा कि इस प्रक्रिया में फ्लाईऐश के अम्ल, क्षार और हीट ट्रीटमेंट के उपचार के कई चरण हैं। सोडियम सिलिकेट एक मध्यवर्ती उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है। अंतिम उत्पाद प्राप्त करने के लिए इस सोडियम सिलिकेट को एक सर्फेक्टेंट और ब्यूटेनॉल के साथ ट्रीट किया गया। प्रक्रिया मापदंडों, विशेष रूप से तापमान, विभिन्न रसायनों की मात्रा और पीएच को मानकी कृत करने में समय लगा, ताकि राख से लगभग 80-85 प्रतिशत नैनो सिलिका पार्टिकल्स की उच्चतम संभव प्राप्ति हो सके।
उत्पाद की पुष्टि करने के लिए, हमने स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी, एक्स-रे विवर्तन विश्लेषण और फूरियर ट्रांसफॉर्म इंफ्रा-रेड तकनीक का उपयोग करके उत्पाद का संरचनात्मक विश्लेषण किया है। डॉ विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव ने कहा कि ईंधन के रूप में उपयोग की जाने वाली खोई की मात्रा को देखते हुए, चीनी मिलियन से प्राप्त ऐसी राख की मात्रा 1.0-1.5 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष हो सकती है और इसलिए इस राख से नैनो सिलिका पार्टिकल्स के उत्पादन की क्षमता 0.2-0.3 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष की सीमा तक हो सकती है।
निदेशक ने बताया कि हम विकसित प्रौद्योगिकी के लिए एक पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रिया में हैं और गोवा में 28-29 जुलाई 2022 को आयोजित होने वाले भारतीय चीनी प्रौद्योगिकी विद्संघ के आगामी वार्षिक सम्मेलन के दौरान प्रौद्योगिकी की एक रूपरेखा चीनी उद्योग के समक्ष भी प्रस्तुत करेंगे।
दीदारे हिन्द की रिपोर्ट