रामलीला में एक दिन मंच पर नहीं होते राम, बिना माइक, लाइट के होता है विश्व प्रसिद्ध रामलीला का मंचन…

रामलीला में एक दिन मंच पर नहीं होते राम, बिना माइक, लाइट के होता है विश्व प्रसिद्ध रामलीला का मंचन…

वाराणसी, 08 सितंबर । रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला पूरी तरह प्रभु श्रीराम के जीवन पर आधारित है। श्रीराम के जन्म से लेकर उनके अयोध्या के राजा बनने तक की कथा इसमें शामिल होती है, लेकिन परंपरा के अनुसार रामलीला का पहला दिन अनोखा होता है। इस दिन मंच पर श्रीराम का स्वरूप नहीं होता।

पहले दिन की लीला रावण के जन्म और उसके अत्याचारों से आरंभ होती है। इसमें दिखाया जाता है कि किस प्रकार रावण के बढ़ते अत्याचारों से परेशान देवता भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हैं कि वे धरती पर अवतार लेकर उनका उद्धार करें। इसी कारण लीला के पहले दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के स्वरूपों का श्रृंगार किया जाता है।

रामलीला में प्रशिक्षित कलाकारों में से दो स्वरूपों को भगवान विष्णु और दो को मां लक्ष्मी का रूप दिया जाता है। इनमें से एक जोड़ी बैकुंठ में और दूसरी क्षीर सागर में निवास करती दिखाई जाती है। यह दृश्य आने वाली कथा की पृष्ठभूमि तैयार करता है, जिसमें यह संदेश निहित है कि श्रीराम भगवान विष्णु के ही अवतार के रूप में पृथ्वी पर प्रकट होंगे।

रामलीला के दूसरे दिन से प्रभु श्रीराम का स्वरूप मंच पर आ जाता है और फिर पूरी कथा उनके इर्द-गिर्द आगे बढ़ती है। इस तरह रामनगर की रामलीला का पहला दिन विशेष होता है, जब कथा की नींव रखी जाती है और भक्तगण श्रीराम के आगमन की प्रतीक्षा करते हैं।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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