मोबाइल एप की बढ़ती मांग बनी प्रतिभावान युवाओं के लिए संभावनाएं

मोबाइल एप की बढ़ती मांग बनी प्रतिभावान युवाओं के लिए संभावनाएं

आजकल चाहे कोई सामान खरीदना हो, गाने सुनने हों या फिर अखबार पढ़ना हो, गेम खेलने हों या किसी को पैसे भेजने हों, ये सारे काम अब स्मार्टफोन से ही हो जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये सभी काम हम किसकी मदद से कर पाते हैं? जी हां, सही समझा आपने, मोबाइल में इंस्टाल हुए एप्लीकेशन के माध्यम से। आज गाने सुनने से लेकर पैसे भेजने और सामान खरीदने आदि के लिए बहुत सारे अलग-अलग एप्‍स हैं। यहां तक कि कोरोना संक्रमित की सही जानकारी और टीकाकरण के लिए भी जिस आरोग्य सेतु और कोविन एप्लीकेशन की मदद ली जा रही है, वह भी एक मोबाइल एप ही है। इसी तरह आज चाहे बच्‍चों को स्कूल की क्लास लेनी हो या घर का सामान मंगवाना हो, ये काम भी मोबाइल एप से बड़ी आसानी से हो जा रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत न होगा कि आज के दौर में एप के कारण आपका मोबाइल किसी जादू की पोटली से कम नहीं है।

एक अनुमान के मुताबिक, मोबाइल एप का बाजार साल 2025 तक बढ़कर लगभग 1 हजार बिलियन यूएस डॉलर तक हो जाएगा। एक अन्‍य सर्वे के मुताबिक, 2030 तक 50 प्रतिशत लोग खरीदारी के लिए मोबाइल एप्लीकेशन का ही उपयोग करेंगे। इससे समझा जा सकता है कि प्रोग्रामिंग और मोबाइल एप्लीकेशन डेवलपमेंट सीखना अब कितना जरूरी हो गया है। सरकार द्वारा अधिकांश कार्य ऑनलाइन माध्यम से करने पर जोर दिये जाने से आने वाले वर्षों में युवाओं के लिए इसमें करियर संभावनाएं और तेजी से बढ़ेंगी।

आकर्षक कमाई के मौके

स्मार्टफोन की कम कीमत, सस्ती दरों पर इंटरनेट सेवाओं की उपलब्‍धता और कोरोना महामारी के बाद बदली परिस्थितियों की वजह से मोबाइल पर हम सबकी निर्भरता बढ़ती जा रही है। इससे एप की जरूरत और उपयोगिता भी बढ़ रही है। स्मार्टफोन की बढ़ती लोकप्रियता के कारण ही मोबाइल एप बनाने का आज बड़ा वैश्विक बाजार खड़ा हो चुका है, जहां रोजगार और असीमित कमाई के मौके हैं। इतना ही नहीं, मोबाइल एप्लीकेशन आज अधिकांश व्यवसायों का अनिवार्य हिस्सा बन गया है या यूं कहें कि एप के भरोसे ही बहुत सारे बिजनेस चल रहे हैं, जैसे कि ओला, उबर, अमेजन, पेटीएम आदि। यहां तक कि बैंकिंग के काम भी तेजी से एप के जरिए होने लगे हैं। आज अगर ये एप न होते, तो शायद ही ये बिजनेस इस रफ्तार से आगे बढ़ते। दरअसल, मोबाइल एप भी एक प्रकार से सामान्य सॉफ्टवेयर ही है, लेकिन इसका उपयोग मोबाइल में करते हैं।

जॉब्स के अवसर

जिस तरह से आजकल आए दिन नये-नये एप्‍स लॉन्च हो रहे हैं, उसे देखते हुए एप डेवलपर्स की डिमांड भी लगातार बढ़ रही है। टेक और सॉफ्टवेयर कंपनियों से लेकर वैल्यू एडेड सर्विसेज देने वाली कंपनियों में अभी इनकी सबसे अधिक जरूरत देखी जा रही है, जो मोबाइल यूआइ डिजाइनर और यूजर एक्सपीरियंस ऐंड यूजेबिलिटी एक्सपर्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस फील्‍ड में प्रोग्रामिंग में प्रशिक्षित आइटी प्रोफेशनल्स की डिमांड ज्यादा है। आप भी एप बनाने की समुचित कुशलता हासिल करके इस फील्ड में एंड्रॉयड एप डेवलपर, एप डेवलपमेंट कंसल्टेंट, एप टेस्टर, एप डेवलपमेंट डिबगिंग जैसे पदों पर अपने लिए जॉब तलाश सकते हैं।

कोर्स एवं योग्‍यताएं

आइओएस और एंड्रायड का बाजार लगभग ( क्रमश: 47 फीसद और 52 फीसद) एक समान है। लेकिन आइओएस के लिए एप बनाना एंड्रायड की तुलना में आसान है। हालांकि दोनों के लिए ही एप बनाने में अनुभव और दक्षता की आवश्‍यकता होती है। कुल मिलाकर, मोबाइल एप डेवलप करने के लिए आपको कोई प्रोग्रामिंग लैंग्वेज आनी चाहिए। फिर चाहे वह जावा हो या फिर पाइथन। जावा और पाइथन सीखने के लिए आप यूट्यूब का सहारा ले सकते हैं। वहां हिंदी में आसान भाषा में जावा और पाइथन के कोर्स फ्री में उपलब्ध हैं। यदि प्रोग्रामिंग लैंग्वेज आपने सीख ली, तो आपको एप्लीकेशन डेवलप करने का कोर्स करना होगा।

लिंक पर क्लिक कर पढ़िए ”दीदार ए हिन्द” की रिपोर्ट

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कोरोना काल को देखते हुए ये कोर्स भी आप ऑनलाइन सीख सकते हैं। सिम्‍पलीलर्न, उडेमी जैसे कई पोर्टर्ल्‍स यह कोर्स कराते हैं, जहां से आप घर बैठे एप्लीकेशन बनाना सीख सकते हैं। कोर्स पूरा होने पर आपको डिप्लोमा या सर्टिफिकेट भी मिलेगा जो आपको इंटरव्यू के समय काम आएगा। इसके अलावा, एप्‍स डेवलपर्स की बढ़ती डिमांड को देखते हुए ही आजकल आइआइटी के अलावा कई निजी संस्‍थान भी एप्‍स डेवलपमेंट में शॉर्ट टर्म या डिप्लोमा जैसे कोर्स संचालित कर रहे हैं, जिसमें तीन महीने का एडवांस्ड ट्रेनिंग कोर्स भी कराया जाता है। वैसे तो कोई भी ग्रेजुएट इसे सीख कर आसानी से नौकरी पा सकता है, लेकिन बीटेक, बीसीए, एमसीए किये हुए युवाओं को कंपनियां अपेक्षाकृत प्राथमिकता देती हैं।

सैलरी पैकेज

एक मोबाइल एप बनाने में डेवलपर 50 हजार से लेकर 20 लाख रुपये तक वसूलते हैं। ऐसे में आप इसके बाजार और इसमें अपार संभावनाओं का अंदाजा लगा सकते हैं। वहीं, किसी आइटी कंपनी को ज्‍वाइन करने पर ऐसे एप डेवलपर्स को शुरुआत में तीन से पांच लाख रुपये का पैकेज आसानी से मिल सकता है। सबसे अच्‍छी बात यह है कि वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा मिलने से यह काम घर से भी बहुत अच्‍छे से किया जा सकता है।

प्रमुख संस्थान

-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास

-एपेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मल्टीमीडिया, कोयंबटूर

-एंड्रॉयड इंस्टीट्यूट, कोलकाता

एप से संबंधित महत्‍वपूर्ण बातें

किसी भी एप को बनाने के क्रम में कई चरण होते हैं:

1. आइडिया: हर वस्तु किसी न किसी आइडिया की ही देन है। ऐसे में आपका एप किस काम के लिए है और यह कैसे लोगों के जीवन को आसान करेगा, यह इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।

2. डिजाइन: इसके अंतर्गत एप्लीकेशन के यूजर इंटरफ़ेस (यूआइ) और यूजर एक्सपीरियंस (यूएक्‍स) का डिजाइन किया जाता है। आसान शब्‍दों में कहें, तो एप्लीकेशन चलाने पर कैसा दिखेगा और उसमें क्या- क्या विकल्प होंगे।

3. डेवलपमेंट: इस चरण में एप के लिए कोड लिखकर उसे विकसित किया जाता है।

4. टेस्टिंग: एप को तैयार करने के बाद उसकी टेस्टिंग करके गुणवत्ता व कमी को परखा जाता है, ताकि उसमें और सुधार किया जा सके। एप की सुरक्षा और हैकर्स से कैसे कोड को सुरक्षित रखना है, इसका भी ध्यान इस दौरान रखा जाता है।

5. लॉन्‍च: एप पिछले चार चरण को जब सफलतापूर्वक पूरा कर लेगा, तो आप उसे प्लेस्टोर और एपल एप स्टोर पर लॉन्‍च कर सकते हैं।

6. मार्केटिंग: आपका एप लोगों तक कैसे पहुंचे, इसके लिए आपको रणनीति बनानी होगी। आप अपने एप का प्रचार फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से भी कर सकते हैं।

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