बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विवादित बयान पर साधु-संत कुपित…

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विवादित बयान पर साधु-संत कुपित…

प्रयागराज, 17 जनवरी । बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के श्रीरामचरित मानस पर दिए गए विवादित बयान से माघ मेला में पहुंचे कुपित साधु-संतों ने उन्हें सत्ता के मद में मदांध बताते हुए ज्ञानार्जन करने की सलाह दी।
अखिल भारतीय हिंदू संरक्षण समिति के अध्यक्ष स्वामी अभय महाराज ‘मौनी बाबा’ ने मंगलवार माघ मेला में बताया कि उन्होंने मंत्री के खिलाफ झूंसी थाने में शिकायत दर्ज करायी है। प्रयागराज में संगम किनारे लगे माघ मेले में साधु-संतों ने बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार से उन्हें बर्खास्त करने मांग की है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने पद की गरिमा की मर्यादा को कभी भूलना नहीं चाहिए, यदि वह जन प्रतिनिधि है तो उसे अपने बयानों के प्रति और भी संजीदा होना चाहिए।
मौनी बाबा ने बताया कि उन्हाेंने तहरीर में लिखा है कि बिहार के मंत्री चंद्रशेखर ने कहा है कि मनुस्मृति और राम चरित मानस को जला दिया जाना चाहिए, इन किताबों ने नफरत फैलाई है। बिहार के शिक्षा मंत्री ने जिस तरह से रामचरित मानस ग्रंथ को नफरत फैलाने वाली किताब बताया है, उससे पूरा देश आहत है। उनका यह बयान सभी सनातनियों का अपमान है। इस तरह की टिप्पणी को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रामचरितमानस तोड़ने वाला नहीं, जोड़ने वाला ग्रंथ है। रामचरितमानस मानवता की स्थापना करने वाला ग्रंथ है। यह भारतीय संस्कृति का स्वरूप है, यह हमारे देश का गौरव है।
मौनी बाबा ने बताया यह हिंदू धर्म के अनुयायियों का घोर अपमान है। उन्होंने कहा कि बिहार के मंत्री का यह बयान जातियों के बीच नफरत पैदा करने के लिए दिया गया तथा सस्ती राजनीति का परिचायक है। इससे आपस में वैमनस्य और नफरत पैदा होगी। यह देश को जाति के आधार पर बांटने की साजिश है। इसकी संत समाज घोर निंदा करता है।
समिति के अध्यक्ष ने कहा है झूंसी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए दी गयी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होती तो वह प्रधानमंत्री को भी एक पत्र लिखेंगे। उन्होंने बताया कि मंत्री के बयान से अगर समाज में किसी भी तरह की हिंसा होती है, तो उसके जिम्मेदार स्वयं मंत्री चन्द्रशेखर होंगे।
मौनी बाबा ने बताया कि भगवान श्रीराम ने केवट को सखा बनाया, जटायु को गोद में लिया, शबरी के जूठे बेर खाए। ऐसे में रामायण में ऐसा कोई प्रसंग ही नहीं आता जिसपर रामायण जलाने जैसा बयान देकर अपनी नासमझी का परिचय दिया है। एक शिक्षा मंत्री को ज्ञानवान, धैर्यवान विवेकवान होना चाहिए। उन्हें शिक्षा मंत्री के पद की गरिमा को समझनी चाहिए और उसके अनुरूप समाज में बयान देकर उसकी महत्ता को बरकरार रखनी चाहिए।
रामचरित मानस समाज में मर्यादा एवं सभी जातियों और वर्गो ही नहीं बल्कि पशु पक्षियों तक को साथ लेकर चलने का संदेश देने वाला जन प्रिय महाकाव्य है। ऐसे में हिन्दू सनातन धर्म की प्राणवायु रामायण को समाज में नफरत फ़ैलाने वाला ग्रंथ कहना ओछी सियासत का प्रदर्शन करना है। उन्होंने मंत्री के बयान को दुर्भावाना से ग्रसित और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
गौरतलब है कि हाल ही में आयोजित नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए मंत्री चन्द्रशेखर ने रामचरित मानस और मनुस्मृति को समाज को विभाजित करने वाली पुस्तकें बताया था।

दीदार ए हिन्द की रिपोर्ट

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