फ्रांस में राजनीतिक उथल-पुथल: मैक्रों ने सेबेस्टियन लेकोर्नू को प्रधानमंत्री नियुक्त किया..
फ्रांस में राजनीतिक उथल-पुथल: मैक्रों ने सेबेस्टियन लेकोर्नू को प्रधानमंत्री नियुक्त किया..

पेरिस, 11 सितंबर। फ्रांस में लगातार बढ़ते राजनीतिक संकट और संसद में विश्वास मत की हार के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने मंगलवार देर रात रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। 39 वर्षीय लेकोर्नू फ्रांस के हालिया इतिहास में सबसे युवा प्रधानमंत्री बने हैं। उन्होंने फ्रांस्वा बायरू की जगह ली है, जिन्होंने महज नौ माह के कार्यकाल के बाद इस्तीफा दे दिया।
फ्रांस्वा बायरू ने संसद में 2026 के बजट पर विश्वास मत मांगा था, किंतु उन्हें बहुमत का समर्थन नहीं मिला। इस हार के साथ ही उनकी बजट योजना विवाद का केंद्र बन गई और उन्होंने पद छोड़ दिया। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब फ्रांस गंभीर वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहा है और सार्वजनिक खर्चों में कटौती की योजनाओं को लेकर राजनीतिक दलों के बीच गहरी असहमति बनी हुई है।
राष्ट्रपति मैक्रों ने लेकोर्नू को प्रधानमंत्री पद सौंपते हुए कहा कि उनका प्रमुख कार्य संसद में आम सहमति बनाना और आगामी बजट को पारित कराना होगा। राष्ट्रपति के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि लेकोर्नू को अपने मंत्रिमंडल का गठन करने से पहले सभी दलों के साथ वार्ता कर नीति-निर्धारण में संतुलन कायम करने का निर्देश दिया गया है।
सेबेस्टियन लेकोर्नू, जो अब तक फ्रांस के इतिहास में सबसे कम उम्र के रक्षा मंत्री रहे हैं, ने नियुक्ति के बाद अपने आधिकारिक वक्तव्य में कहा, “रिपब्लिक के राष्ट्रपति ने मुझे एक स्पष्ट दिशा वाली सरकार बनाने का दायित्व सौंपा है। यह सरकार हमारी स्वतंत्रता और शक्ति की रक्षा करेगी, फ्रांसीसी नागरिकों की सेवा करेगी तथा राजनीतिक और संस्थागत स्थिरता सुनिश्चित करेगी।”
विशेषज्ञों का मानना है कि लेकोर्नू की नियुक्ति मैक्रों की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वे संसद की विभाजित राजनीति में युवा और दृढ़ छवि वाले नेता के माध्यम से समर्थन जुटाना चाहते हैं। हालांकि, यह भी स्पष्ट है कि मौजूदा वित्तीय संकट और विपक्ष के कड़े रुख के बीच नया प्रधानमंत्री आसान राह पर नहीं चल पाएंगे।
पिछले एक वर्ष में फ्रांस में प्रधानमंत्री पद पर यह चौथा बदलाव है, जिससे वहां की राजनीतिक स्थिरता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। मिशेल बार्नियर और फ्रांस्वा बायरू जैसे नेताओं के अल्पकालिक कार्यकाल के बाद अब लेकोर्नू के सामने न केवल बजट पारित कराने बल्कि जनता का भरोसा कायम रखने की बड़ी चुनौती होगी।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट