फिलिस्तीनी मुहब्बत

फिलिस्तीनी मुहब्बत -अब्दुल लतीफ अक्ल- जब नहीं था मुमकिन मैं लाया सौगातें तुम्हारे लिए महकता रहा तुम्हारा बदन खयालों में तुम्हारी सूनी आंखों में पड़े थे कभी मेरे सपने मुर्दा मैं चाहता हूं तुमको अब भी जब सताती है भूख सूंघ लेता हूं तुम्हारी खुशबूदार जुल्फे और पोंछ लेता हूं आंसू दर्द और धूल से … Continue reading फिलिस्तीनी मुहब्बत