पनामा पर ट्रम्प की टिप्पणी पर अमेरिकी सीनेटर ने जतायी चिंता..

पनामा पर ट्रम्प की टिप्पणी पर अमेरिकी सीनेटर ने जतायी चिंता..

वाशिंगटन, 30 दिसंबर । अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पनामा नहर को अमेरिकी स्वामित्व में वापस करने की मांग को लेकर तीसरे देशों को चीन और रूस के साथ मेल-मिलाप के लिए प्रेरित कर सकता है।
अमेरिकी सीनेटर बेन कार्डिन ने कहा कि श्री ट्रम्प ने 22 दिसंबर को कहा है कि वे पनामा नहर को अमेरिकी स्वामित्व में तुरंत वापस करने की मांग करेंगे क्योंकि यहां से आवागमन के लिये भारी शुल्क देना पड़ता है। उन्होंने पनामा नहर अमेरिकी व्यापार के साथ-साथ अटलांटिक और प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी नौसेना बलों की तैनाती पर भी जोर दिय़ा है।
डेमोक्रेटिक सीनेटर ने एबीसी न्यूज को बताया, ‘मुझे नहीं पता कि श्री ट्रम्प इस बारे में क्या कह रहे हैं कि वे कितने ईमानदार हैं लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि इससे वैश्विक स्तर पर सवाल उठते हैं कि क्या हम एक विश्वसनीय भागीदार हैं और यह वास्तव में रूस तथा चीन की अन्य देशों से अपील को बढ़ावा देता है। क्या उन्हें रूस और चीन के साथ गठबंधन करने की आवश्यकता है, क्या अमेरिका वैश्विक स्तर पर उनके लिए मौजूद रहेगा।’
उन्होंने कहा कि अपने पिछले कार्यकाल के दौरान श्री ट्रम्प ने अमेरिका को नाटो से वापस लेने की धमकी दी थी जिससे भागीदार देशों में इस बात को लेकर संदेह पैदा हुआ कि क्या वाशिंगटन पर भरोसा किया जा सकता है।
पनामा के राष्ट्रपति ने पहले श्री ट्रम्प की टिप्पणियों की निंदा की थी। उन्होंने कहा कि 1977 की संधि के आधार पर पनामा नहर पूरी तरह से प्रांत के स्वामित्व में है और देश की संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने याद दिलाया कि 1977 की टोरिजोस-कार्टर संधि के आधार पर इस पर पूर्ण हस्तांतरण 31 दिसंबर 1999 को पूरा हुआ था। इसमें विशेष रूप से इस क्षेत्र के विघटन, पनामा की संप्रभुता की मान्यता और नहर का पूर्ण हस्तांतरण शामिल था।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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