देवी दुर्गा की आराधना में गूंजते शास्त्रीय राग, जो भर देते हैं मन में अद्भुत आध्यात्मिक अनुभूति…

देवी दुर्गा की आराधना में गूंजते शास्त्रीय राग, जो भर देते हैं मन में अद्भुत आध्यात्मिक अनुभूति…

प्रकृति-मां पुष्पों के विभिन्न रंगों और सुवास से सारी पृथ्वी को सजा देती हैं। आम के बौर धानी रंग में ‘उत्पत्ति’ का आभास कराते हैं और कोयल की कूक मानो हमारे भीतर के रागात्मक भावों को झंकृत करने लगती है।

मुझे याद है हिमाचल में बचपन में जब चैत्र नवरात्र आते थे, तब हम सभी सहेलियां सुबह-सुबह तारों की छांव में उठकर देवी के गीत गाते हुए व्यास नदी में स्नान करने जाती थीं और संध्या को आरती के पूर्व देवी मां के भजन गाए जाते थे । शास्त्रीय संगीत में जब रागों की शिक्षा लेनी प्रारंभ की तो मालूम हुआ कि देवी शक्ति पर आधारित बहुत से राग हैं। हमारी हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की परंपरा में मुख्य रूप से राग दुर्गा, राग सरस्वती, राग बागेश्वरी इत्यादि राग दुर्गा को समर्पित हैं।

दुर्गे जगतमात, देवी भवानी तुम ही भवानी, तुम हो शिवानी सकल जगत के कष्ट हारो मात । उपर्युक्त बंदिश राग दुर्गा पर आधारित एक अति सुंदर रचना है, जिसे नवरात्र में भक्तिभाव के साथ गाया जाता है। राग दुर्गा के हर स्वर तथा चलन में देवी की शक्ति और ऊर्जा का भान होता है। पारंगत कलाकार जब राग दुर्गा गाते हैं तो मानो दुर्गा माँ का चित्र आंखों के समक्ष आ जाता है। एक शक्ति रूपी देवी, जिनके हाथ में त्रिशूल और दिव्यता का प्रकाश, पहाड़ों पर विराजने वाली मां के मुखमंडल पर सूर्य-सा तेज और वीणा का स्वर गूंजता हुआ सुनाई देता है।

कर्नाटक संगीत पद्धति में कई प्रचलित राग हैं, जो मां शक्ति पर आधारित हैं। जैसे राग परमेश्वरी, राग कल्याणी, राग सरस्वती और राग गौरी आदि। राग सरस्वती को हिंदुस्तानी संगीत पद्धति में भी गाया बजाया जाता है। इस राग में ‘मध्यम’ तीव्र और ‘निषाद’ कोमल होने के कारण इसका अद्भुत प्रभाव पड़ता है। भक्ति भाव प्रकट होता है। राग सरस्वती के रूप का वर्णन इस प्रकार है: एक मंदिर के तालाब में कमल के फूल के ऊपर श्वेत वस्त्र धारण किए देवी सरस्वती वीणा बजाते हुए बैठी हैं और निर्मल जल में उनके आसपास श्वेत हंस तैर रहे हैं। चारों ओर शुद्धता और सौंदर्य का प्रभाव दिखाई दे रहा है।

फिल्म संगीत में बहुत सारे गीत देवी मां पर आधारित हैं। मुख्य रूप से 1980 की फिल्म ‘आशा’ का ‘तूने मुझे बुलाया शेरावालिये’ लोकप्रिय हुआ, जिसे आनंद बक्शी ने लिखा और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने संगीतबद्ध किया था। इसके अतिरिक्त फिल्म ‘क्रांति’ का ‘दुर्गा है मेरी मां अंबे है मेरी मां’ गाना भी बहुत प्रसिद्ध रहा।

दीदार हिन्द की रिपोर्ट

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