तेरी याद रुला गई -हरीश कुमार अमित-
तेरी याद रुला गई -हरीश कुमार अमित-
शोलों की आंच दिल को पूरा जला गई
जब भी आई याद तेरी मुझ को रुला गई
कटती रही यह जिंदगी तेरे बगैर कुछ यूं
सांसों में मौत जैसे अपनी आहट मिला गई,
मजबूरियां जिंदगी की बढ़ती गईं इतनी
हर सांस जिंदगी में और जहर मिला गई
आई बहार जग में तो दिल रोया जारजार
ताजा फूलों की खुशबू मेरे जख्म खिला गई,
किए बहुत जतन हम ने खुश रहने के मगर
हर कोशिश गमों के समंदर में मिला गई।।
लिंक पर क्लिक कर पढ़िए ”दीदार ए हिन्द” की रिपोर्ट
अप्राकृतिक यौनाचार और हत्या मामले में दो लोगों को उम्रकैद