तेरी याद रुला गई..
तेरी याद रुला गई..
-हरीश कुमार अमित-
शोलों की आंच दिल को पूरा जला गई
जब भी आई याद तेरी मुझ को रुला गई
कटती रही यह जिंदगी तेरे बगैर कुछ यूं
सांसों में मौत जैसे अपनी आहट मिला गई,
मजबूरियां जिंदगी की बढ़ती गईं इतनी
हर सांस जिंदगी में और जहर मिला गई
आई बहार जग में तो दिल रोया जारजार
ताजा फूलों की खुशबू मेरे जख्म खिला गई,
किए बहुत जतन हम ने खुश रहने के मगर
हर कोशिश गमों के समंदर में मिला गई।।
दीदार हिन्द की रीपोर्ट