टैरिफ को लेकर भारत अमेरिका की तल्खी के बीच पाकिस्तान की बल्ले-बल्ले!…
टैरिफ को लेकर भारत अमेरिका की तल्खी के बीच पाकिस्तान की बल्ले-बल्ले!…

वाशिंगटन, अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाया है। इस टैरिफ से जहां भारत में व्यापारी चिंतित हैं, तो वहीं पाकिस्तान की बल्ले-बल्ले हो गई है। पंजाब और हरियाणा के बासमती किसान और निर्यातक इस वक्त गहरे संकट में हैं। वजह है अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का वह फैसला, जिसमें भारतीय बासमती चावल पर 50 प्रतिशत तक का भारी टैरिफ लगा दिया गया है। यह झटका ऐसे समय आया है, जब दाम पहले से गिर रहे थे और बाजार में अनिश्चितता बढ़ी हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक बासमती एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के वाइस-प्रेसिडेंट रंजीत सिंह जोसन के मुताबिक, पाकिस्तान के व्यापारी पहले ही अमेरिका से ऑर्डर लेने लगे हैं, लेकिन भारतीय कारोबारी कीमत के अंतर की वजह से बातचीत तक नहीं कर पा रहे। वह कहते हैं कि इससे भारत को नुकसान और पाकिस्तान को फायदा हो रहा है। अमेरिका में 1,200 डॉलर में खरीदा गया एक टन बासमती चावल भारत से आयात करने पर 600 डॉलर अतिरिक्त खर्च पड़ेगा, जबकि पाकिस्तान से आयात करने पर केवल 228 डॉलर अतिरिक्त खर्च होंगे। मिल मालिकों के पास पुराना स्टॉक बिक नहीं रहा। जोसन का कहना है, ‘जब तक हालात नहीं सुधरते, एक्सपोर्टर्स खरीद नहीं करेंगे।’
टैरिफ का यह बोझ 7 अगस्त को ट्रंप के एक्सिक्यूटिव ऑर्डर के बाद लगा, जिसमें भारत के रूस से तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत की अतिरिक्त पेनल्टी जोड़ी गई और पहले से लागू 25 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ के साथ कुल टैक्स 50 प्रतिशत हो गया। 50 फीसदी टैरिफ 28 अगस्त से लागू होगा। भारत पर टैरिफ लगने से सबसे ज्यादा खुश पाकिस्तान है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे पाकिस्तान को अमेरिकी बाजार में बड़ी बढ़त मिल गई है। दरअसल पाकिस्तान पर सिर्फ 19 फीसदी का टैरिफ लगा है। इन दो अलग-अलग दरों से पाकिस्तान को बासमती निर्यात में फायदा हो रहा है। यानी अब भारतीय बासमती चावल अमेरिकी ग्राहकों को 31 फीसदी महंगी पड़ेगी।
टैरिफ ऐसे समय में लगा है, जह पहले से ही 1121 और 1509 जैसी मशहूर किस्मों की कीमतें 4,500 प्रति क्विंटल से गिरकर 3,500-3,600 रु. तक आ चुकी हैं। अब आशंका है कि दाम रु.3,000 तक पहुंच सकते हैं। ऐसे में टैरिफ दोहरी मार है। पंजाब के तरनतारन के किसान गुरबक्शिश सिंह कहते हैं, अगर यही हाल रहा तो किसान बासमती छोड़कर साधारण धान की तरफ लौट जाएंगे।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट