जीआई उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने की जरूरतः विशेषज्ञ…

जीआई उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने की जरूरतः विशेषज्ञ…

नई दिल्ली, 06 मार्च। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को काला नमक चावल और नागपुर संतरे जैसे जीआई (भौगोलिक संकेत) उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के लिए इन्हें वैश्विक मंच पर प्रीमियम उत्पाद के तौर पर पेश करना चाहिए।

विशेषज्ञों के मुताबिक, समान अंतरराष्ट्रीय उत्पादों की तुलना में भारतीय जीआई उत्पादों की एक बड़ी कमजोरी मजबूत विपणन और वैश्विक ब्रांड पहचान का अभाव है।

जीआई उत्पाद किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पैदा होने वाला कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) है। यह पहचान उसे गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि कई भारतीय जीआई उत्पाद अपनी अनूठी गुणवत्ता और सांस्कृतिक महत्व के बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतने मशहूर नहीं हैं। इसका कारण ठीक से ब्रांडिंग न होना, प्रचार गतिविधियां और वैश्विक बाजारों तक सीमित पहुंच है।

इसके अलावा गुणवत्ता आश्वासन और जीआई टैग के कुशल प्रबंधन से संबंधित मुद्दे भी भारतीय जीआई उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता पर असर डालते हैं।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘इन क्षेत्रों को मजबूत करने से भारतीय जीआई उत्पादों की वैश्विक उपस्थिति और बाजार मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।’

गैर-सरकारी संगठन ‘ग्रेट मिशन ग्रुप सोसाइटी’ (जीएमजीएस) ने कहा कि भारत में हजारों उत्पाद जीआई के रूप में वर्गीकृत करने लायक हैं और वे स्थानीय समुदायों को लाभान्वित करने के साथ देश की विरासत को सुरक्षित रखेंगे।

जीएमजीएस के संस्थापक चेयरमैन गणेश हिंगमायर ने कहा कि उनके संगठन ने अब तक 89 उत्पादों के लिए जीआई टैग का आवेदन किया है जिनमें से 61 को प्रकाशित या वर्गीकृत किया जा चुका है।

उन्होंने कहा, ”मैं सरकार को भारतीय वस्तुओं को जीआई निशान देने में तेजी लाने का सुझाव देना चाहूंगा। इससे देश के निर्यात को बढ़ावा देने के अलावा उन समुदायों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी जो उन वस्तुओं का उत्पादन कर रहे हैं।”

क्षमता निर्माण और विपणन के लिए जीआई उत्पादकों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है, जिससे इन वस्तुओं के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलता है।

किसी उत्पाद को जीआई पहचान मिलने के बाद कोई भी व्यक्ति या कंपनी उस नाम से समान वस्तु नहीं बेच सकती है। यह पहचान 10 वर्षों की अवधि के लिए वैध है जिसके बाद इसका नवीनीकरण कराया जा सकता है।

जीआई पहचान वाले मशहूर भारतीय उत्पादों में बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय, चंदेरी कपड़ा, मैसूर सिल्क, कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, तंजौर पेंटिंग, फर्रुखाबाद प्रिंट, लखनऊ जरदोजी और कश्मीर अखरोट की लकड़ी की नक्काशी शामिल हैं।

जीआई उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने की जरूरतः विशेषज्ञ

नई दिल्ली, 06 मार्च (वेब वार्ता)। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को काला नमक चावल और नागपुर संतरे जैसे जीआई (भौगोलिक संकेत) उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के लिए इन्हें वैश्विक मंच पर प्रीमियम उत्पाद के तौर पर पेश करना चाहिए।

विशेषज्ञों के मुताबिक, समान अंतरराष्ट्रीय उत्पादों की तुलना में भारतीय जीआई उत्पादों की एक बड़ी कमजोरी मजबूत विपणन और वैश्विक ब्रांड पहचान का अभाव है।

जीआई उत्पाद किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पैदा होने वाला कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) है। यह पहचान उसे गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि कई भारतीय जीआई उत्पाद अपनी अनूठी गुणवत्ता और सांस्कृतिक महत्व के बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतने मशहूर नहीं हैं। इसका कारण ठीक से ब्रांडिंग न होना, प्रचार गतिविधियां और वैश्विक बाजारों तक सीमित पहुंच है।

इसके अलावा गुणवत्ता आश्वासन और जीआई टैग के कुशल प्रबंधन से संबंधित मुद्दे भी भारतीय जीआई उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता पर असर डालते हैं।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘इन क्षेत्रों को मजबूत करने से भारतीय जीआई उत्पादों की वैश्विक उपस्थिति और बाजार मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।’

गैर-सरकारी संगठन ‘ग्रेट मिशन ग्रुप सोसाइटी’ (जीएमजीएस) ने कहा कि भारत में हजारों उत्पाद जीआई के रूप में वर्गीकृत करने लायक हैं और वे स्थानीय समुदायों को लाभान्वित करने के साथ देश की विरासत को सुरक्षित रखेंगे।

जीएमजीएस के संस्थापक चेयरमैन गणेश हिंगमायर ने कहा कि उनके संगठन ने अब तक 89 उत्पादों के लिए जीआई टैग का आवेदन किया है जिनमें से 61 को प्रकाशित या वर्गीकृत किया जा चुका है।

उन्होंने कहा, ”मैं सरकार को भारतीय वस्तुओं को जीआई निशान देने में तेजी लाने का सुझाव देना चाहूंगा। इससे देश के निर्यात को बढ़ावा देने के अलावा उन समुदायों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी जो उन वस्तुओं का उत्पादन कर रहे हैं।”

क्षमता निर्माण और विपणन के लिए जीआई उत्पादकों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है, जिससे इन वस्तुओं के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलता है।

किसी उत्पाद को जीआई पहचान मिलने के बाद कोई भी व्यक्ति या कंपनी उस नाम से समान वस्तु नहीं बेच सकती है। यह पहचान 10 वर्षों की अवधि के लिए वैध है जिसके बाद इसका नवीनीकरण कराया जा सकता है।

जीआई पहचान वाले मशहूर भारतीय उत्पादों में बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय, चंदेरी कपड़ा, मैसूर सिल्क, कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, तंजौर पेंटिंग, फर्रुखाबाद प्रिंट, लखनऊ जरदोजी और कश्मीर अखरोट की लकड़ी की नक्काशी शामिल हैं।

दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट

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