जापान में उच्च सदन के लिए मतदान शुरू..
जापान में उच्च सदन के लिए मतदान शुरू..

टोक्यो, 21 जुलाई। जापान की संसद के उच्च सदन की 248 सीटों के लिए रविवार को मतदान हो रहा है। इस अहम चुनाव में प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। माना जा रहा है कि चुनाव में प्रधानमंत्री इशिबा की पार्टी एलडीपी और उनके सत्तारूढ़ गठबंधन कोमितो को हार का सामना करना पड़ सकता है।
मतदाता जापान की संसद के उच्च सदन की 248 सीटों में से आधी सीटों के लिए मतदान कर रहे हैं। इसके शुरुआती नतीजे रविवार रात आने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री इशिबा की पार्टी एलडीपी और उलकी सहयोगी कोमितो को बहुमत के लिए कम से कम 50 सीटें जीतनी होंगी। हालांकि पहले से उनके पास 75 गैर-चुनावी सीटें हैं, लेकिन फिर भी यह पिछली 141 सीटों की संख्या से बड़ी गिरावट होगी।
इशिबा को हटाने की मांग हो सकती है तेज
विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव में खराब प्रदर्शन से सरकार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि उच्च सदन के पास किसी नेता के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार नहीं है। लेकिन इससे इशिबा के भाग्य और जापान की राजनीतिक स्थिरता पर अनिश्चितता जरूर बढ़ जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बहुमत नहीं मिलता तो एलडीपी के भीतर ही इशिबा को हटाने की मांग तेज हो सकती है।
महंगाई और घटती आय बड़ा मुद्दा
चुनाव में बढ़ती महंगाई और घटती आय बड़ा मुद्दा है। मतदाता सामाजिक सुरक्षा भुगतान का बोझ, निराश और नकदी की कमी,विदेशी निवासियों और पर्यटकों के लिए कड़े कदम का मुद्दा उठा रहे हैं। वहीं चावल की कीमतें सप्लाई की कमी और वितरण तंत्र की जटिलता के कारण दोगुनी हो चुकी हैं। इस वजह से बाजारों में पैनिक बाइंग देखी जा रही है। इस मुद्दे पर एक कृषि मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा, जिसके बाद शिंजिरो कोइज़ुमी को नियुक्त किया गया। उन्होंने भंडारण से चावल रिलीज़ कर हालात को संभालने की कोशिश की है, लेकिन प्रभाव सीमित है।
नई पार्टियों का जोर, मगर एकजुटता नहीं
सरकार से निराश मतदाता तेजी से उभरती हुई नई पार्टियों की ओर रुख कर रहे हैं। हालांकि आठ मुख्य विपक्षी दल इतने उलझे हैं कि वे एकजुट मोर्चे के रूप में एक साझा मंच बनाने और एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में असमर्थ हैं। उभरती हुई लोकलुभावन पार्टी संसेइतो अपने जापानी प्रथम मंच के साथ सबसे कड़े विदेशी-विरोधी रुख के साथ उभर कर सामने आई है, जो विदेशियों को कल्याणकारी योजनाओं से बाहर रखने और नागरिकता नियमों को कड़ा करने की मांग कर रही है। यह पार्टी पारंपरिक लिंग भूमिकाओं और वैक्सीन विरोध जैसे मुद्दों को भी उठा रही है।
इसके अलावा मुख्य विपक्षी दल जापान की संवैधानिक डेमोक्रेटिक पार्टी या सीडीपीजे, डीपीपी और सैनसेतो सहित रूढ़िवादी से लेकर मध्यमार्गी विपक्षी समूहों ने लिबरल डेमोक्रेट्स की कीमत पर महत्वपूर्ण बढ़त हासिल कर ली है। चुनाव अभियान और सोशल मीडिया पर विदेशी विरोधी बयानबाजी के प्रसार से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है और विदेशी निवासियों में चिंता उत्पन्न हो गई है।
मतदाताओं की चिंता
मतदाता स्थिरता और परिवर्तन के बीच बंटे हुए हैं। कुछ मतदाता बढ़ते विदेशी-द्वेष के बारे में चिंता व्यक्त कर रहे हैं। 43 वर्षीय सलाहकार युको त्सुजी ने कहा कि वे दोनों स्थिरता और एकता के लिए एलडीपी का समर्थन करती हैं और उन्होंने ऐसे उम्मीदवारों के लिए मतदान किया है जो विभाजन को बढ़ावा नहीं देंगे। अगर सत्तारूढ़ पार्टी ठीक से शासन नहीं करती है, तो रूढ़िवादी आधार चरमपंथ की ओर बढ़ जाएगा। इसलिए मैंने इस उम्मीद के साथ वोट दिया कि सत्तारूढ़ पार्टी सख्ती बरतेगी।
मतदान करने आए 57 वर्षीय स्व-रोज़गार दाइची नासु ने कहा कि उन्हें एक ज़्यादा समावेशी और विविधतापूर्ण समाज की ओर बदलाव की उम्मीद है, जिसमें ज्यादा खुले आव्रजन और लैंगिक नीतियां हों, जैसे कि विवाहित जोड़ों को अलग-अलग उपनाम रखने की अनुमति। इसीलिए मैंने सीडीपीजे को वोट दिया। मैं इन मोर्चों पर प्रगति देखना चाहता हूं।
दीदारे ए हिन्द की रीपोर्ट