जलवायु परिवर्तन से सहकारी वैश्विक स्तर पर निपटा जाए : दलाई लामा

जलवायु परिवर्तन से सहकारी वैश्विक स्तर पर निपटा जाए : दलाई लामा

धर्मशाला, 31 अक्टूबर। ग्लास्गो में अहम जलवायु सम्मेलन के मद्देनजर दलाई लामा ने रविवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को हर किसी के फायदे के लिए सहकारी वैश्विक स्तर पर हल किया जाना चाहिए। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन यानी कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी26) में अपने संदेश में तिब्बत के आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैज्ञानिक समझ पर आधारित यथार्थवादी कार्रवाई की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ”आज हमें डर की वजह से प्रार्थना करके नहीं बल्कि वैज्ञानिक समझ पर आधारित यथार्थवादी कार्रवाई करके भविष्य पर बात करने की आवश्यकता है। हमारे ग्रह पर रहने वाले प्राणी पहले के मुकाबले एक-दूसरे पर कहीं अधिक आश्रित हैं। हर चीज जो हम करते हैं उसका असर मनुष्यों के साथ-साथ असंख्य पशुओं और पौधों की प्रजातियों पर पड़ता है।”

उन्होंने कहा, ”हमें हर किसी के फायदे के लिए जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को सहकारी वैश्विक स्तर पर हल करना चाहिए। लेकिन हमें वह सब भी करना चाहिए जो हम निजी स्तर पर कर सकते हैं। यहां तक कि रोज के छोटे-छोटे काम जैसे कि हम पानी का कैसे इस्तेमाल करते हैं और उन चीजों का कैसे निपटारा करते हैं जिसकी हमें आवश्यकता नहीं होती, इसका भी असर पड़ता है। हमें अपने प्राकृतिक पर्यावरण की देखभाल करने को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए और विज्ञान ने हमें जो पढ़ाया है उसे सीखना चाहिए।”

दलाई लामा ने कहा कि उन्हें यह देखकर खुशी हुई कि युवा पीढ़ियां जलवायु परिवर्तन पर ठोस कार्रवाई की मांग कर रही है जो भविष्य के लिए कुछ उम्मीद जगाने वाला है। उन्होंने कहा कि विज्ञान की

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सुनना और उसके अनुसार कार्रवाई करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के वास्ते ग्रेटा थनबर्ग जैसे युवा कार्यकर्ताओं की कोशिशें महत्वपूर्ण हैं। उनका रुख यथार्थवादी है, हमें उन्हें प्रेरित करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ”वैश्विक ताप वृद्धि अत्यावश्यक वास्तविकता है। हममें से कोई भी जो हो चुका है उसे नहीं बदल सकता लेकिन हम सब बेहतर भविष्य के लिए योगदान दे सकते हैं। निश्चित तौर पर हमारी अपने प्रति और आज जीवित सात अरब से ज्यादा मनुष्यों के प्रति जिम्मेदारी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम सभी शांति एवं सुरक्षित माहौल में जी सकें।” उन्होंने कहा, ”उम्मीद और दृढ़ निश्चय के साथ हमें अपनी खुद की जिंदगियों और अपने सभी पड़ोसियों की देखभाल करनी चाहिए।”

दलाई लामा ने कहा कि उत्तर और दक्षिणी ध्रुवों के अलावा, बर्फ के सबसे बड़े भंडार तिब्बती पठार को ”तीसरा ध्रुव” कहा जाता है। उन्होंने कहा, ”तिब्बत दुनिया की कुछ प्रमुख नदियों का स्रोत है जिनमें ब्रह्मपुत्र, गंगा, सिंधु, मेकोंग, साल्वीन, पीली नदी और यांग्त्जे शामिल हैं। ये नदियां जीवन का स्रोत हैं क्योंकि ये एशिया में करीब दो अरब लोगों को पीने योग्य जल, खेती के लिए सिंचाई का पानी और हाइड्रोपावर उपलब्ध कराती हैं।”

उन्होंने कहा, ”वैश्विक ताप वृद्धि और जलवायु परिवर्तन का खतरा राष्ट्रीय सीमाओं में नहीं बंधा है, यह हम सभी पर असर डालता है। चूंकि हम इस संकट का एक साथ मिलकर सामना करते हैं तो यह आवश्यक है कि हम इसके नतीजों को सीमित करने के लिए एकजुटता से और सहकारी भावना से कार्रवाई करें। मैं उम्मीद और प्रार्थना करता हूं कि हमारे नेता इस आपात स्थिति से निपटने के वास्ते सामूहिक कदम उठाने की ताकत जुटा पाएं और बदलाव के लिए एक समयसीमा तय करें। हमें दुनिया को सुरक्षित, ज्यादा हरी-भरी, खुशहाल बनाने के लिए कदम उठाना होगा।

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