कविता : भेदभाव मिटाना है…
कविता : भेदभाव मिटाना है…
कनिशा खाती
कक्षा-11, उम्र-16
पिंगलों, उत्तराखंड
भेदभाव की इस दुनिया में,
सभी को यह बताना है,
लड़का हो या लड़की हो,
सबको एक समान समझना है,
लोगों की सोच को मिटा कर,
लड़कियों को आगे बढ़ाना है,
काला हो या हो गोरा,
रंग-रूप का भेद मिटाना है,
सपनों को मंज़िल तक पहुँचाना है,
एक नई पहल की नई शुरुआत कर के,
हम लड़कियों को भी आगे बढ़ते जाना है॥
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट