ऐ भारत -कु. मीना जांगड़े-
ऐ भारत -कु. मीना जांगड़े-
ऐ भारत, ऐ भारत मेरे
आसमान से ऊंची,
जिन्दगी से महान मेरे।
ऊंचे – ऊंचे पर्वत है जहां
नीले – नीले आसमान की छाया
हर कदम पर
मिले हरियाली जहां।
उड़ते मयूर जमीं पर
नाचे जहां
वहां है खूबसूरत शमां
झूमे मन नाचे तन,
बोले ये मनमोहनी जुबां।
ऐ भारत, ऐ भारत मेरे
आसमान से ऊंची,
जिन्दगी से महान मेरे।
पतझड़ भी अपने आपको
खूबसूरत बताये
मैं इसी देश का हूं
ये घमंड जताये।
ये घमंड आम नहीं
मैं यही बताऊं
इतना सुन्दर है मेरा देश
की इसकी सुन्दरता दर्शाऊं
मीठी जुबां न खुद को पाए
इसकी सुन्दरता में
चार चांद लगाए
और बोलता जाएं,
ऐ भारत, ऐ भारत मेरे
आसमान से ऊंची,
जिन्दगी से महान मेरे।
पानी की तरह बहाऊं
अपनी जिन्दगी नामक
फूलों को हार बनाकर
तुमको पहनाऊं,
ये भी मुझको कम लगे तो
हर जनम तुझपे वार जाऊं
मन रोके, दिल ना रोक पाएं
दिल की सच्चाई
आईने की तरह दिखे
और जुंबा
बस बोलता जाये
ऐ भारत, ऐ भारत मेरे
आसमान से ऊंची,
जिन्दगी से महान मेरे।
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