उत्तर प्रदेश पुलिस एसटीएफ ने मानव तस्करी में शामिल आरोपी को दबोचा
उत्तर प्रदेश पुलिस एसटीएफ ने मानव तस्करी में शामिल आरोपी को दबोचा
कोलकाता, 19 दिसंबर। उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस)ने मानव तस्करी में अहम भूमिका निभाने वाले 25 हजार रुपए के आरोपी रतन मंडल को शुक्रवार को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया। उसके पास से दो मोबाइल फोन, आधार कार्ड, पैन, ई-श्रम और एटीएम कार्ड, विभिन्न बैंकों के कार्ड और एक कंप्यूटर बरामद किया गया।
एटीएस सूत्रों ने बताया कि रतन मंडल उस गिरोह का प्रमुख सहयोगी था जो अवैध रूप से बांग्लादेशियों, रोहिंग्याओं को भारत लाता है और फिर हिन्दू होने के आधार पर उनके भारतीय पासपोर्ट बनवा कर बाद उन्हें विदेश भेजता है। इस तरह का यह अकेला मामला नहीं है। पिछले तीन महीनों में यूपी-एटीएस ने कोलकाता-स्पेशल टास्क फोर्स के साथ मिलकर अनेक लोगों को गिरफ्तार किया है जो बंगलादेशियों और रोहिंग्याओं को अवैध तरीेके से भारत में प्रवेश दिलाते थे। यह पुलिस और प्रशासन के लिए चिंता का विषय है।
इस महीेने के पहले हफ्ते में यूपी एटीएस और कोलकाता एसटीएफ ने एक संयुक्त अभियान चलाकर दो रोहिंग्याओं नूर आलम तथा मोहम्मद जमील को कोलकाता से धर दबोचा था। ये दोनों अवैध दस्तावेजों की मदद से बंगलादेशियों और रोहिग्याओं को भारत में प्रवेश कराकर फिर उन्हें विदेश भिजवाते थे।
सूत्रों ने बताया कि नूर आलम और मोहम्मद जमील रोहिंग्याओं और बंगलादेशियों के हिन्दू पहचान वाले फर्जी भारतीय पासपोर्ट बनवाते थे तथा इसके बाद उन्हें विदेशों में भेजते थे। ये गिरफ्तारियां चार लोगों – मिथुन मंडल, शाओन अहमद, मोमिनूर इस्लाम और मेंहदी हसन से पूछताछ के आधार पर की गई हैं। इन चारों को अक्टूबर माह में बंगलादेशियों और म्यांमार के नागरिकों को अवैध तौर पर विदेश भिजवाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
इससे पहले यूपी एएीएस ने पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले से एक समीर मंडल(45) और पंजाब के होशियारपुर से विक्रम सिंह को गिरफ्तार किया था । ये दोनों अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी के रैकेट में शामिल थे और यह नेटवर्क दक्षिण अफ्रीका से लेकर लंदन तक फैला हुआ है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इससे एक हफ्ते पहले यूपी एटीस और कोलकाता एसटीएफ ने 21 बंगलादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया था जो अवैध रूप से यहां आए थे और कोलकाता के बाहर आनंदपुर में रह रहे थे।
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कोलकाता एसटीएफ के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ये गिरफ्तारियां गुलशन कालोनी की एक आवासीय इमारत से उस वक्त की गई थी जब लखनऊ से एटीएस की टीम यहां एक मुफीजुल रहमान की तलाश में आई थी जो एक कुख्यात मानव तस्कर बताया जाता है। उन्होंने कहा कि हालांकि बंगलादेश से अवैध रूप से यहां आकर रह रहे लोगों की गिरफ्तारियां कोई नई बात नहीं है लेकिन कोलकाता में अभी भी ऐसे अनेक लोग रह रहे हैं जो पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।
अधिकारी ने कहा कि वो सभी युवा एक अपार्टमेंट में रह रहे थे और उसे मदरसे के नाम पर संचालित किया जा रहा था लेकिन उनमें से किसी के पास भी कोई वैध पासपोर्ट या वीजा नहीं था और उनके पास से फर्जी भारतीय पहचान पत्र बरामद किए गए थे। जांचकर्ताओं को अभी तक ऐसा कोई सुराग नहीं मिला है जो साबित कर सके कि अवैध प्रवासियों का किसी आतंकवादी संगठन के साथ कोई संपर्क है लेकिन यह बात उभर कर सामने
आई कि लॉकडाउन के बाद लोगों के सामने बेरोजगारी ने इस तरह के संगठनों के साथ जुड़ने को आसान बना दिया है। बंगलादेश सीमा पर अधिक निगरानी नहीं होने और बेरोजगार युवकों का फायदा उठाकर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय आतंकी समूह जैसे जेएमबी, अंसारूल्लाह गुट और इस्लामिक स्टेट राज्य में पांव पसारने की कोशिश में हैं। इनका मकसद समस्त पूर्वी भारत में पश्चिम बंगाल को आतंकी गतिविधियों का केन्द्र बनाना है।
ऐसा भी देखा गया है कि ये लोग राज्य के बेरोजगार युवकों और युवतियों को सीधे बातचीत या ऑनलाइन के जरिए इस तरह की गतिविधियों में काम करने का लालच देते है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी और कोलकाता एसटीएफ को यह जानकारी उन तीन जेएमबी आतंकवादियों ने दी है जिन्हें हाल ही में एसटीएफ ने कोलकाता से गिरफ्तार किया था।
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