उत्तराखंड विस से निकाले गये कार्मिकों को फौरी राहत,स्थायी नियुक्ति तक काम करते रहेंगे..
उत्तराखंड विस से निकाले गये कार्मिकों को फौरी राहत,स्थायी नियुक्ति तक काम करते रहेंगे..
नैनीताल, 15 अक्टूबर । उत्तराखंड विधानसभा से हटाये गये तदर्थ कर्मचारियों को उच्च न्यायालय से फौरी राहत मिल गयी है। वे फिलहाल काम करते रहेंगे। इस दौरान अदालत ने विधानसभा सचिवालय को स्थायी पदों को भरने के लिये नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करने की अनुमति दे दी है और बहाल कर्मचारी भी उस प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे।
विधानसभा सचिवालय की ओर से वर्ष 2016 से 2020 तक विभिन्न पदों पर नियुक्त लगभग 288 तदर्थ कार्मिकों को सितम्बर में आदेश जारी कर हटा दिया गया था। इनमें से लगभग 132 कार्मिकों की ओर से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया। उन्होंने पृथक पृथक याचिका दायर कर विधानसभा उप उसचिव के आदेश को रद्द करने की मांग की।
इस प्रकरण में पिछले दो दिन से न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में लगातार मैराथन सुनवाई हुई। आज दिनभर चली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उनकी नियुक्ति वैध है और उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय खंडपीठ भी वर्ष 2018 में उनकी नियुक्ति को जायज ठहरा चुकी है।
उनकी नियुक्ति स्वीकृत पदों के सापेक्ष हुई है। उन्हें निकालने से पहले उनका पक्ष नहीं सुना गया। उच्च न्यायालय के निर्देश पर विशेषज्ञ समिति भी उनकी तदर्थ नियुक्ति को जायज ठहरा चुकी है। विधानसभा की ओर से जनहित को आधार बना कर उन्हें सेवा से हटा दिया गया है जो कि गलत है।
दूसरी ओर सरकार की ओर से कहा गया कि सभी नियुक्ति काम चलाऊ व्यवस्था के तहत की गयी थीं। साथ ही तय प्रावधानों का पालन भी नहीं किया गया। सभी उम्मीदवारों को मात्र एक प्रार्थना पत्र के आधार पर महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति दे दी गयी। सभी नियुक्ति बैक डूअर चैनल से की गयी हैं।
विधानसभा की ओर से यह भी कहा गया कि पदों को भरने के लिये जल्द ही स्थायी प्रक्रिया अपनायी जा रही है और तदर्थ कार्मिकों की बहाली से उसमें बाधा उत्पन्न हो गयी।
लगभग दिन भर चली सुनवाई के बाद अदालत ने अंत में अंतरिम आदेश पारित करते हुए सरकार के निष्कासन आदेश पर अगली तिथि तक रोक लगा दी है। साथ ही सरकार को स्थायी पदों को भरने के लिये प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति प्रदान कर दी है और अदालत ने अपने आदेश में साफ कहा कि तदर्थ कार्मिक नियुक्ति प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं कर सकेंगे।
अदालत ने स्थायी नियुक्ति प्रक्रिया में तदर्थ कार्मिकों को भी शामिल करने की अनुमति दे दी है। साथ ही विधानसभा सचिवालय को चार सप्ताह में जवाब देने के निर्देश भी दिये हैं।
दीदार ए हिन्द की रिपोर्ट