अनुच्छेद 370 के रहते क्या जम्मू कश्मीर में शांति थी? : अमित शाह ने पूछा
अनुच्छेद 370 के रहते क्या जम्मू कश्मीर में शांति थी? : अमित शाह ने पूछा
नई दिल्ली, 04 दिसंबर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को पूछा कि दशकों से अनुच्छेद 370 लागू था, लेकिन क्या तब जम्मू-कश्मीर में शांति थी? उन्होंने कहा कि 2019 में संविधान के इस अनुच्छेद के प्रावधान निरस्त होने के बाद घाटी में शांति, व्यवसाय के लिए अच्छा निवेश और पर्यटकों की आमद हुई है। शाह ने यहां आयोजित ‘एचटी लीडरशिप समिट’ में बातचीत के दौरान ये बातें कहीं।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के उस बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि जब तक अनुच्छेद 370 को बहाल नहीं किया जाता तब तक सरकार केंद्र शासित क्षेत्र में शांति कायम नहीं कर सकती। शाह ने कहा, “पिछले 75 साल से अनुच्छेद 370 था। शांति क्यों नहीं थी? अगर शांति और अनुच्छेद 370 के बीच संबंध है तो क्या वह अनुच्छेद 1990 में नहीं था? वह 1990 में था तब शांति क्यों नहीं थी? अगर हम निशाना बनाकर की गई हत्याओं के आंकड़े भी शामिल करे तो यह 10 प्रतिशत के करीब भी नहीं हैं। इसका मतलब है कि वहां शांति है।”
इससे पहले दिए अपने संबोधन में शाह ने कहा कि किसी को विश्वास नहीं था कि अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-ए को कभी निरस्त किया जा सकता है। शाह ने अपने अंग्रेजी के प्रोफेसर के साथ हुए एक संवाद का हवाला दिया जिन्होंने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने का वादा अगली पीढ़ी तक जाएगा।
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शाह ने कहा, “मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान से पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को हटा दिया। कश्मीर में अब शांति है, निवेश हो रहा है पर्यटक आ रहे हैं और जम्म कश्मीर धीरे-धीरे बाकी देश के साथ एकजुट होकर खड़ा होने को तैयार है।”
शाह ने कहा कि उनके और प्रधानमंत्री के विरुद्ध एक बयान दिया जाता था कि जम्मू कश्मीर में इतने लंबे समय तक कर्फ्यू लगाया गया और इंटरनेट सेवाएं बंद की गई। गृहमंत्री ने कहा, “मैं जब वहां गया और युवाओं से पूछा कि अगर हमने कर्फ्यू हटा लिया होता तो किसी जान जाती? शुरू में तो चुप्पी थी लेकिन बाद में उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्हें मार दिया जाता। तब मैंने पूछा कि मोदी जी ने कर्फ्यू लगाकर किसको बचाया। उन्होंने कहा कि उनकी जान बची। तब मैंने कहा कि देश के लोगों को यह तय करना है कि जो लोग कर्फ्यू लगाते हैं उन्हें क्या चाहिए।”
जम्मू कश्मीर की स्थानीय पार्टियों द्वारा, राज्य का दर्जा बहाल कर चुनाव कराने की मांग पर शाह ने कहा कि संसद ने अधिनियम पारित किया है कि परिसीमन की प्रक्रिया के बाद चुनाव होंगे।
शाह ने कहा कि उपराज्यपाल के प्रशासन में जिस प्रकार का विकास हो रहा है, कानून व्यवस्था में सुधार है, पर्यटक आ रहे हैं और सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं में जो सुधार है इससे पता चलता है कि कम समय में बहुत कुछ बदल गया है।
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