राज्यसभा में हंगामे की भेंट चढ़ा शून्यकाल व प्रश्नकाल, कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित

राज्यसभा में हंगामे की भेंट चढ़ा शून्यकाल व प्रश्नकाल, कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित

नई दिल्ली, 01 दिसंबर। संसद के मॉनसून सत्र में राज्यसभा में ‘‘अशोभनीय आचरण’’ के लिए निलंबित 12 सांसदों का निलंबन वापस लेने की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के हंगामे की वजह से उच्च सदन की कार्यवाही बुधवार को पहली बार के स्थगन के बाद दूसरी बार महज पांच मिनट के भीतर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस व तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग दोहराई लेकिन उपसभापति ने कहा कि वह प्रश्नकाल के अलावा किसी और मुद्दे पर बात नहीं सुनना चाहते।

उन्होंने प्रश्नकाल आरंभ किया और इसके लिए रेवती रमन सिंह का नाम पुकारा। इसी बीच विपक्षी सदस्यों ने हंगामा और नारेबाजी शुरु कर दी। उपसभापति ने कहा कि सदस्यों के निलंबन के बारे में सभापति पहले ही कह चुके हैं कि नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष आपस में चर्चा करके कोई रास्ता निकालें।

उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने-अपने स्थानों पर लौट जाने का आग्रह किया। लेकिन जब उनके इस आग्रह को अनसुना कर दिया गया तो सदन की कार्यवाही स्थगित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं विवश हूं। सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित की जाती है।’’

लिहाजा, उच्च सदन में प्रश्नकाल भी नहीं हो सका। इससे पहले, हंगामे की वजह से सदन में शून्यकाल भी नहीं हो सका था। सुबह 11 बजे बैठक शुरू होने के बाद सभापति ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने जैसे ही शून्यकाल शुरू कराया, विपक्षी सदस्यों ने 12 सांसदों का निलंबन वापस लेने की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया और अपने स्थानों से आगे आ गए।

इस पर नायडू ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, ‘‘मैं इसकी (हंगामे की) अनुमति नहीं दे सकता। सदन में जो कुछ हो रहा है उसे लोगों को दिखाया जाना चाहिए। जिन सदस्यों ने सदन की गरिमा को ठेस पहुचाई हैं, उन्हें कोई पश्चाताप नहीं है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘आसन के निकट आना, टेबल पर चढ़ जाना, कागज फाड़कर हवा में उछालना, मंत्रियों के हाथ से पेपर छीन लेना…और आसन को चुनौती देना…वह सब कुछ हो रहा है जो असंसदीय और अनैतिक है। जब आपको पश्चाताप ही नहीं है तो हम क्या कर सकते हैं।’’

उन्होंने कुछ सदस्यों द्वारा तख्तियां लेकर सदन में आने और उसे लहराए जाने को अनुचित ठहराते हुए कहा, ‘‘आप अड़े हैं कि शून्यकाल नहीं चलने देना है…बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, लोक महत्व के विषय हैं…आप शून्य काल नहीं चाहते…आप लोक महत्व के विषय नहीं चाहते…आप नहीं चाहते कि सदन की कार्यवाही चले…इस पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं और सदन में जो हो रहा है उससे लोग हतोत्साहित हो रहे हैं।’’

उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों की ओर लौट जाने का आग्रह किया। अपनी बात का असर न होते देख नायडू ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

गौरतलब है कि संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने की वजह से, वर्तमान सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया।

उच्च सदन में उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी।

जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।

इससे पहले बैठक शुरू होने पर केसी(एम) पार्टी के जोस के मणि को उच्च सदन की सदस्यता की शपथ दिलाई गई। मणि केरल से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं।

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