मोदी सरकार से पहले आत्महत्या के लिए मजबूर होते थे किसान, अब नहीं : योगी

मोदी सरकार से पहले आत्महत्या के लिए मजबूर होते थे किसान, अब नहीं : योगी

लखनऊ, 23 दिसंबर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि वर्ष 2014 से पहले देश में किसान आत्महत्या के लिए मजबूर होते थे लेकिन उसके बाद सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार की दूरदर्शी नीतियों की वजह से हालात बदल गए हैं। मुख्यमंत्री ने किसान नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 119वीं जयंती पर यहां आयोजित ‘किसान दिवस’ कार्यक्रम में यह बात कही।

उन्होंने कहा, “केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार दूरदर्शिता के साथ किसानों के लिए काम कर रही हैं। वर्ष 2014 से पहले इस देश में किसान आत्महत्या करने को मजबूर होते थे लेकिन 2014 के बाद सत्तासीन हुई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के किसान हितैषी नीतियों को लागू करने की वजह से आज परिणाम सबके सामने है।”

योगी ने कहा, “वर्ष 2017 में जब प्रदेश में हमारी सरकार बनी थी उस समय भी किसान आत्महत्या करने को मजबूर था। पिछली सरकारों की किसान विरोधी और अवैज्ञानिक सोच के कारण किसान खेती से पलायन कर रहे थे और जो खेती करते थे वे कर्ज के बोझ से इतना दब जाते थे कि उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ता था। मगर सत्ता में आने के बाद हमने किसानों की कर्ज माफी का एक बड़ा अभियान चलाया और किसानों के 36000 करोड़ रुपए के कर्ज माफ किये।”

योगी ने दावा किया “देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा भले ही वर्ष 1967 में हो गई हो लेकिन ईमानदारी के साथ किसानों को समर्थन मूल्य देने का काम सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने का काम भी प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने ही किया है।”

मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों पर किसानों की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा, “वर्ष 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में किसानों की उपज की खरीद की कोई नीति नहीं थी। उस वक्त आढ़तियों के माध्यम से खरीद-फरोख्त होती थी। हमारी सरकार आई और निश्चय किया कि हम किसानों से सीधे खरीदेंगे। पिछली सरकारों ने आढ़तियों के माध्यम से जो खरीद की उसके मुकाबले हमारी सरकार ने जो क्रय किया है उसमें दोगुने से अधिक का अंतर है।”

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योगी ने तुलनात्मक आंकड़े देते हुए कहा कि पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी सरकार के पांच साल के कार्यकाल में धान की खरीद मात्र 123.61 लाख मीट्रिक टन हुई थी जबकि उनकी सरकार ने पिछले साढ़े चार वर्षों के अंदर किसानों से 203.26 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की है। इसके अलावा पूर्ववर्ती सरकार के 94.38 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले 219.12 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद भी की गई है।

उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के शासनकाल में मंडियां किसान हितैषी होने के बजाय उन्हें लूटने का काम करती थीं लेकिन भाजपा सरकार ने सारी व्यवस्था ठीक की। योगी ने कहा कि भाजपा सरकार ने अब तक गन्ने का लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपए का भुगतान किया है जबकि पिछली सरकारों में गन्ना किसानों को उपज का मूल्य नहीं मिल पाता था।

मुख्यमंत्री ने दिवंगत प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जिक्र करते हुए कहा कि चौधरी ने सड़क से सदन तक किसानों की आवाज उठाई और उनका स्पष्ट मत था कि भारत की समृद्धि का मार्ग हमारे खेत-खलिहान से होकर जाता है, चौधरी के इन सपनों को देश और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पूरा कर रही है।

उन्होंने कृषि में रसायनों के इस्तेमाल पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, ”इससे नई नई बीमारियां पैदा हो रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे बचाव का उपाय गो-आधारित खेती के तौर पर हमारे सामने रखा है, इससे गोरक्षा का भी काम होगा और आस्था का भी सम्मान होगा, इससे खेती की उत्पादकता भी अपेक्षाकृत बढ़ेगी।”

सरकार ने पिछले साल गो-आधारित खेती का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया था कानपुर में आयोजित एक कार्यशाला के माध्यम से लगभग 500 किसानों को इसका प्रशिक्षण भी दिया गया था।

योगी ने कहा, “हमने गाय को सनातन काल से ऋषि और कृषि की परंपरा के साथ जोड़ा है। इसका मतलब गाय हमारे लिए सिर्फ आस्था का प्रतीक नहीं है बल्कि हमारी कृषि आधारित व्यवस्था की वह आधारभूत इकाई भी है, उसके बिना खेती की कल्पना भी नहीं की जा सकती। अगर कृषि वैज्ञानिक चाहें तो इस क्षेत्र में बहुत अच्छा काम हो सकता है।

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