महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस पर लिया अपरिग्रह का संकल्प शांति धारा पूजा की और निर्वाण लड्डू समर्पित किया

महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस पर लिया अपरिग्रह का संकल्प शांति धारा पूजा की और निर्वाण लड्डू समर्पित किया

कुशीनगर, 06 नवंबर। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी के 2548वें निर्वाण दिवस पर शुक्रवार देर रात तक पावानगरी उनके संदेशों से गूंजती रही। सांस्कृतिक कार्यक्रम व विचार गोष्ठी में लोगों ने महावीर स्वामी के दिखाए अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के मार्ग पर चलने और त्याग, संयम, प्रेम, करुणा, शील और सदाचार को जीवन में उतारने का संकल्प लिया।

कुशीनगर जिले के फाजिलनगर नगर पंचायत में स्थित निर्वाणस्थली पर जैन धर्मावलंबियों ने भगवान महावीर की प्रतिमा की शांति धारा पूजा की और निर्वाण लड्डू समर्पित किया गया। शाम को श्रद्धालुओं ने भगवान महावीर की प्रतिमा को रथ पर विराजमान कर धूमधाम से साथ शोभा यात्रा निकाली। नगर का भ्रमण किया पुनः मंदिर लौट झंडा रोहण किया।

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुशीनगर के विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने कहा कि तमाम विचारों को एकात्म करने की शिक्षा जैन दर्शन से मिलती है। भगवान महावीर जैन का संपूर्ण जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा। विशिष्ट अतिथि उप्र जैन शोध संस्थान के उपाध्यक्ष डा. अभय कुमार जैन ने कहा कि महावीर स्वामी व तथागत बुद्ध दोनों समकालीन हैं। भगवान महावीर स्वामी का दीपावली के दूसरे दिन निर्वाण हुआ था। भगवान महावीर व भगवान बुद्ध के निर्वाण में मात्र सात दिन का अंतर है।

बाबा राघव दास ने जैन धर्म के 24वें व अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी का पावानगर फाजिलनगर को प्रमाणिक ऐतिहासिक स्थल के रूप में सिद्ध किया है। पोखराज जैन की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम को ओपी मिश्रा, डा. अनिल कुमार सिन्हा,अजय जैन, अशोक कुमार जैन, ज्ञानेंद्र जैन, प्रदीप जैन, अजय जैन,डा. मृत्यंजय ओझा, मंनजय तिवारी आदि ने सम्बोधित करते महावीर जैन के जीवन वृत और वर्तमान परिवेश में उनके संदेशों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

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