मन की व्यथा पर नियंत्रण-ब्रह्मकुमार निकुंज-

मन की व्यथा पर नियंत्रण

-ब्रह्मकुमार निकुंज-

कहते हैं कि जैसा संकल्प वैसी सृष्टि अर्थात हम जैसा सोचेंगे, हमारे आसपास का संसार भी वैसा ही बनेगा। इसलिए ही तो आज हर डॉक्टर अपने मरीज को एक ही सलाह देता है- शुभ और अच्छा सोचोगे तो जल्दी-जल्दी ठीक हो जाओगे। परंतु अधिकांश लोगों का यह प्रश्न होता है- क्या यह सचमुच संभव है कि हमारे मन में कोई भी अशुद्ध संकल्प प्रवेश ही ना करे? जिन्होंने अपने मन में अशुद्ध संकल्पों के प्रवेश पर नियंत्रण कर लिया है, उनके मतानुसार आध्यात्मिकता द्वारा यह मुश्किल लगने वाली बात बड़ी सहजता से संभव हो सकती है। जैसे डॉक्टर लोग कहते हैं कि अगर दिन में हर घंटे एक गिलास पानी पीने की आदत रहे तो शरीर को अनेक प्रकार की बीमारियों से बचाया जा सकता है। ठीक वैसे ही हर घंटे में अगर एक मिनट के लिए ध्यानाभ्यास (मेडिटेशन) किया जाए तो अनेक प्रकार के व्यर्थ संकल्पों से बचा जा सकता है।

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यह सहज विधि है- मन के संचार पर नियंत्रण अर्थात मन का ट्रैफिक कंट्रोल। जी हां। जैसे चैराहे पर खड़े ट्रैफिक पुलिसकर्मी को यह समझ होती है कि कब और कौन-सी दिशा में वाहनों को चलने या रोकने का आदेश देना है, ताकि एक मिनट के लिए भी यह व्यवस्था डगमगाने न पाए और वातावरण में अशांति, तनाव तथा अनिश्चितता ना फैले, उसी प्रकार व्यक्ति, स्थान और वायुमंडल के प्रतिकूल होने पर नकारात्मक, विरोधात्मक एवं विनाशकारी संकल्पों को रोक कर शुद्ध एवं रचनात्मक संकल्पों की उत्पत्ति की कला मन के ट्रैफिक कंट्रोल की सहज विधि द्वारा हमारे भीतर आ सकती है। तो चलिए, आज से ही सुबह से लेकर रात को सोने तक हर घंटे में एक मिनट के लिए सब कुछ छोड़ कर मन के विचारों को नियंत्रित करें। स्वयं को भौतिक शरीर से अलग आत्मा समझ कर परमात्मा की दिव्य स्मृति में रहने का अभ्यास करें, उस सर्वशक्तिमान की दिव्य ऊर्जा प्राप्त कर पाप कर्मों से संपूर्ण परहेज रखने की शक्ति प्राप्त करें।

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