भारतीय पैनोरमा में उचित प्रतिनिधित्व मिले ऐसा प्रयास किया गयाः खटुआ..
भारतीय पैनोरमा में उचित प्रतिनिधित्व मिले ऐसा प्रयास किया गयाः खटुआ..

पणजी, । जाने-माने फिल्मकार हिमांशु शेखर खटुआ ने गुरुवार को कहा कि देश के सभी हिस्सों को भारतीय पैनोरमा में उचित प्रतिनिधित्व मिले यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है।
55वें भारतीय-अतंरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2024 के चल रहे आयोजन के बीच भारतीय पैनोरमा फीचर फिल्म संवर्ग के जूरी सदस्यों ने कहा कि 384 भारतीय फिल्मों में से 25 फिल्में चुनना काफी मुश्किल भरा फैसला था और महोत्सव में जिन फिल्मों का चयन नहीं हो सका, उनकी गुणवत्ता कमतर नहीं मानी जानी चहिये।
भारतीय पैनोरमा की चयन प्रक्रिया पर अपना दृष्टिकोण बताते हुये हिमांशु शेखर खटुआ ने कहा कि इस संवर्ग में फिल्मों का चयन जूरी सदस्यों के लिये काफी कठिन था, क्योंकि इसमें देश के विभिन्न हिस्सों की फिल्में शामिल थी। चयन समिति सुनिश्चित करना चाहती थी कि इस संवर्ग में देश के सभी हिस्सों को योग्यतापूर्ण प्रतिनिधित्व मिले। तेरह सदस्यीय इस संवर्ग की श्रेष्ठ फिल्में तय करने के लिये 42 दिनों तक विचार-विमर्श
किया। उन्होंने कहा कि गोवा अब शूटिंग के लिये पसंदीदा स्थान बन गया है जो दर्शाता है कि फिल्मकारों को गोवा में फिल्मांकन के लिये सभी आवश्यक सहायता मिल रही है।
इस अवसर पर जूरी सदस्य मनोज जोशी ने कहा कि फीचर फिल्म चयन समिति ने देश के सभी क्षेत्रों की प्रतिभा, फिल्मों और रचनात्मकता के साथ न्याय करने की कोशिश की है। हम दुनिया के आदिम कथ्यकार हैं और कहानी सुनाना हमारे खून में है। भारत दुनिया में सबसे अच्छी फिल्म कथ्य सामग्री प्रस्तुत करने वाला देश हैं।
जूरी सदस्य रत्नोत्तमा सेनगुप्ता ने कहा कि भारतीय-अतंरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2024 में शामिल भारतीय पैनोरमा की फिल्में भारत की बहुविविधता और भारतीय सिनेमा की विविधता दर्शाती हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि यह महोत्सव केवल 10 दिनों का होता है, लेकिन इसके अंतर्गत कई खंड और संवर्गों में विविधतापूर्ण फिल्में प्रदर्शित होती हैं।
जूरी सदस्य आशु त्रिखा ने कहा कि सिनेमा अपने आप में एक धर्म है और महोत्सव में फिल्मों का चयन बेहद सावधानी और विचारपूर्वक किया गया है। उन्होंने कहा कि विशेष प्रभावों और डिजिटल प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से भारतीय सिनेमा अब नयी ऊंचाइयों को छू रहा है और विश्व मानक के बराबर पहुंच गया है।
जूरी सदस्य प्रिया कृष्णास्वामी ने भारतीय सिनेमा की मौजूदा विषयगत अंतर्धाराओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि नये फिल्मकार कला के नये रूप और नई सिनेमाई भाषा के साथ जो प्रयोग कर रहे हैं उसे देखकर खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि जूरी सदस्यों की कोशिश रही कि फिल्मों का सावधानीपूर्वक चयन किया जाये और फिल्म निर्माण के आगामी रुझानों तथा दुनिया के सामने भारतीय सिनेमा की विविधता को लाया जाये।
जूरी के अन्य सदस्य सुष्मिता मुखर्जी, ओइनम गौतम, एस.एम. पाटिल, नीलाभ कौल, सुशांत मिश्रा, अरुण कुमार बोस और समीर हंचते भी संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे। सम्मेलन का संचालन रजिथ चंद्रन ने किया।
इंडियन पैनोरमा 55वें भारतीय-अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) का एक प्रमुख खंड है, जिसमें 25 फीचर फिल्में और 20 गैर-फीचर फिल्में दिखाई जाएंगी। मुख्यधारा सिनेमा की 5 फिल्मों सहित 25 फीचर फिल्मों को 384 समकालीन भारतीय फीचर फिल्मों में से चुना गया है। भारतीय पैनोरमा 2024 में दिखाए जाने के लिए निर्णायक मंडल (जूरी) की पहली पसंद रणदीप हुड्डा द्वारा निर्देशित हिंदी फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर है।
दीदार ए हिन्द की रीपोर्ट