प्रतिभा के भंडार श्रेयस अय्यर को तीनों फोर्मेट में खिलाओ -सारिम अन्ना-
प्रतिभा के भंडार श्रेयस अय्यर को तीनों फोर्मेट में खिलाओ -सारिम अन्ना-
रणजी ट्राफी के एक मैच में दिन के आखिरी ओवर में श्रेयस अय्यर ने छक्का मारकर अपना शतक पूरा किया था। यह सहासिक उपलब्धि थी, लेकिन राहुल द्राविड़ (जो अब भारत के मुख्य कोच हैं) ने दिन के अंतिम ओवर में ऐसा रिस्क भरा शॉट खेलने के लिए श्रेयस अय्यर को बुरी तरह से डांटा था। इस घटना से जहां यह जाहिर हुआ कि श्रेयस अय्यर द्राविड़ के पसंदीदा खिलाड़ियों में से हैं, वहीं यह भी मालूम हुआ कि जबरदस्त प्रतिभा के मालिक श्रेयस अय्यर द्राविड़ की राय को बहुत महत्व देते हैं। इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि अभी तक वाइट बॉल के विशेषज्ञ समझे जाने वाले श्रेयस अय्यर को द्राविड़ ने मुख्य कोच बनते ही टेस्ट में खेलने का अवसर प्रदान किया। श्रेयस अय्यर ने भी द्राविड़ के विश्वास को सही साबित किया और न्यूजीलैण्ड के विरुद्ध ग्रीन पार्क (कानपुर) में अपना पहला टेस्ट खेलते हुए बिना कोई रिस्क लिए पहली पारी में शानदार शतक (105 रन) और दूसरी पारी में अर्धशतक लगाया। इस तरह श्रेयस अय्यर भारत के उन 16 बैटर्स में शामिल हो गये हैं (जिनमें जीआर विश्वनाथ, मुहम्मद अजहरुद्दीन, सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग व रोहित शर्मा जैसे बड़े नाम शामिल हैं) जिन्होंने अपने करियर के पहले ही टेस्ट में शतक लगाया है। जबकि इसके साथ ही वह देश के पहले ऐसे बल्लेबाज बन गये हैं, जो अपने पहले टेस्ट मैच में ही शतक और अर्धशतक लगाया हो।
श्रेयस अय्यर की सफलता से शायद टेस्ट क्रिकेट में भारत के कमजोर मध्यक्रम की समस्या का भी समाधान हो गया है। बहरहाल, श्रेयस अय्यर इतने प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं कि उन्हें विराट कोहली, रोहित शर्मा व केएल राहुल की तरह क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट- टेस्ट, ओडीआई व टी-20 में भारतीय टीम का हिस्सा होना चाहिए। इस मकाम तक आने का सफर श्रेयस अय्यर के लिए आसान नहीं रहा है। उन्हें विवादित तरीके से भारत के 2019 ओडीआई विश्व कप दल में शामिल नहीं किया गया था। यह एक ऐसा निर्णय था जिस पर पूरी प्रतियोगिता के दौरान टीम को पछतावा होता रहा। शायद नहीं भी हुआ हो; क्योंकि उन्हें 2021 के टी-20 विश्व कप की टीम में भी शामिल नहीं किया गया था। हालांकि टी-20 विश्व कप के अधिकतर मैचों के नतीजे टॉस व ओस से प्रभावित हुए, लेकिन इस बात की अधिक संभावना है कि श्रेयस अय्यर में जो मैच की स्थिति को पढ़ने व उसके अनुरूप खुद को ढालने की गजब की क्षमता है उससे भारत को थोड़ी अधिक बढ़त मिल जाती।
खैर, लम्बी प्रतीक्षा के बाद आखिरकार कानपुर में श्रेयस अय्यर का समय आया। इस बार उन्हें प्लेयिंग 11 में शामिल न करना लगभग असंभव था क्योंकि विराट कोहली, रोहित शर्मा व ऋषभ पंत की सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं और केएल राहुल टेस्ट से पहले चोटिल हो गये थे। तो श्रेयस अय्यर की किस्मत जागी। वह तैयार थे। पहले ही टेस्ट में शतक लगाकर उन्होंने साबित कर दिया कि वह प्रतिभा का भंडार हैं। उनके विश्वास, आक्रमकता, गुणात्मक व बेबाक अंदाज को न्यूजीलैण्ड के गेंदबाजों ने शिद्दत से महसूस किया। उनके सुंदर, संतुलित व निस्तेज स्टांस में पुराने क्लासिक खिलाड़ियों की झलक है, जिससे वह लयात्मक अंदाज में अपने शॉट्स खेलते हैं और उनके पास सभी शॉट्स मौजूद हैं।
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अपने पहले ही मैच में उनके पास स्टंप्स के बाहर खड़े होने, उन्हें खुला छोड़ने और गेंद को कट, लॉफ्ट व लेट खेलने का विश्वास व साहस था। वह बड़े मंच पर अपने आगमन का वक्तव्य दे रहे थे। वह लम्बी दौड़ के खिलाड़ी हैं। ऐसा लगता है कि 26-वर्षीय श्रेयस अय्यर क्रिकेट संसार में कुछ बड़ा करने के किनारे पर हैं। उनके आगमन से अजिंके रहाणे, चितेश्वर पुजारा व हनुमा विहारी को टेस्ट टीम में अपनी जगह को लेकर खतरा अवश्य महसूस हुआ होगा। हालांकि श्रेयस अय्यर अभी तक चयनकर्ताओं की गुड बुक्स में नहीं थे, लेकिन लगता यह है कि अब कानपुर की पारी से उनकी स्थिति में परिवर्तन आ जायेगा। भारत को मध्यक्रम में एक ठोस बैटर चाहिए जो वही काम कर सके जो कानपुर में श्रेयस अय्यर ने किया है। पारी की संरचना करना, जारहाना हिटिंग करके तेजी से रन बनाना, डिफेंस से शटर गिरा देना और गैप में गेंद खेलकर सिंगल लेना और ऐसा करने में श्रेयस अय्यर तीनों ही फॉर्मेट में सक्षम हैं।
हाल के दिनों में जो नये खिलाड़ी भारतीय टीम में शामिल हुए हैं उनमें से अधिकतर आईपीएल के रास्ते से आये हैं, जिनमें जसप्रीत बुमराह, मुहम्मद सिराज व अक्षर पटेल का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। टी-20 लीग से ही इनकी क्षमता व प्रतिभा सामने आयी। अब पुरानी शैली के खिलाड़ी श्रेयस अय्यर भी इस सूची में शामिल हो गये हैं। उनका फस्र्ट क्लास रिकॉर्ड भी शानदार है। 54 फस्र्ट क्लास मैचों में उनका औसत 52 से अधिक है और स्ट्राइक रेट लगभग 82 है। मुंबई के साथ अपने दूसरे सत्र (2015-16) में उन्होंने 1321 रन बनाये थे, जोकि वीवीएस लक्ष्मण के रणजी सत्र रिकॉर्ड से मात्र 95 रन कम थे। उस सत्र के फाइनल में भी उन्होंने शतक लगाया था, जिसकी बदौलत मुंबई रणजी चैंपियन बनी।
वास्तव में एक अच्छे टैलेंट को खुद को साबित करने के लिए पर्याप्त संख्या में अवसर मिलने चाहिएं। अगर अच्छी प्रतिभा को भी टीम से अंदर बाहर किया जाता रहेगा तो उसके लिए खुद को स्थापित करने में कठिनाई होगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि श्रेयस अय्यर को टीम में जगह बनाने के लिए निश्चित संख्या में अवसर प्रदान किये जायेंगे। द्राविड़ के मुख्य कोच रहते हुए शायद श्रेयस अय्यर को यह मौके तीनों फाॅर्मेट्स में मिल जाएं।
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