देश को रक्षा विनिर्माण हब बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है सरकार: राजनाथ
देश को रक्षा विनिर्माण हब बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है सरकार: राजनाथ

नई दिल्ली, 18 दिसंबर। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि देश की सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए भारत अब विदेशी के बजाय स्वदेशी रक्षा उत्पादों पर ज्यादा जोर दे रहा है और और उसने सभी देशों से कहा है कि वह भारत में उसकी कंपनियों के साथ मिलकर उत्पाद बनाएं। श्री सिंह ने शनिवार को यहां भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ फिक्की की 94 वीं वार्षिक आमसभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश की सुरक्षा के लिए हमें रक्षा क्षेत्र में अपनी क्षमता और दक्षता को बढ़ाना होगा और यह काम इसलिए जरूरी है जिससे कि कोई भी दुश्मन किसी तरह की नापाक हरकत करने से पहले हजार बार सोचे। उन्होंने कहा कि इसके लिए भारत को रक्षा क्षेत्र में विनिर्माण का हब बनाना होगा और सरकार इसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इस दिशा में कदम उठाते हुए बजट को निरंतर बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि
आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत हम भारत में बने रक्षा उपकरणों को प्राथमिकता दे रहे हैं और 209 ऐसे रक्षा उपकरणों की एक सूची बनाई गई है जिनका हम एक निश्चित समय के बाद किसी भी सूरत में आयात नहीं करेंगे। देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं का उल्लेख करने के साथ-साथ उन्होंने कहा कि इसके लिए मित्र देशों से भी मदद ली जा रही है। उन्होंने कहा कि हमने सभी देशों से दो टूक शब्दों में कहा है कि वे मेक इन इंडिया, मेक फॉर इंडिया और मेक फॉर वर्ल्ड के सिद्धांत पर काम करते हुए भारत में स्वदेशी कंपनियों के साथ मिलकर रक्षा उत्पाद बनाएं। उन्होंने कहा कि इन देशों से दो टूक शब्दों में कह दिया गया है कि हम जो भी रक्षा उत्पाद बनाएंगे वह अपनी धरती पर ही बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि इस बारे में अमेरिका , रूस और फ्रांस के साथ बात हुई है। इन सभी देशों की ओर से भारत को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। इन दिनों भारत यात्रा पर आई फ्रांस की रक्षा मंत्री सुश्री फ्लोरेंस पार्ले के साथ शुक्रवार को हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए श्री सिंह ने कहा कि उनके साथ भी इस बारे में व्यापक बातचीत हुई है। श्री सिंह ने कहा कि इस बातचीत के दौरान फ्रांस इस बात पर सहमत हो गया है कि
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उनकी एक बड़ी कंपनी भारत में आकर सामरिक साझेदारी के तहत विमान का इंजन बनाएगी हालांकि उन्होंने इंजन और विमान का नाम बताने से इनकार कर दिया। श्री सिंह ने कहा कि जिन रक्षा उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है उनकी सूची को धीरे-धीरे 209 से बढ़ाकर 1000 उत्पादों तक ले जाया जाएगा जिसके बाद इन 1000 रक्षा उत्पादों का आयात बिल्कुल बंद कर दिया जाएगा। निजी क्षेत्र की कंपनियों से रक्षा क्षेत्र में विनिर्माण में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने की अपील करते हुए श्री सिंह ने कहा ,“ हमने वक्त बदल दिया है, हालात बदल दिए
,अब जज्बात भी बदल गए हैं। आज डिफेंस सेक्टर में काम करने वाली हर निजी कंपनी को इस बात का भरोसा है कि अपना भी टाइम आ गया है।” रक्षा आयुध फैक्ट्रियों के निगमीकरण को आजाद भारत का सबसे बड़ा रक्षा सुधार करार देते हुए उन्होंने कहा कि जो नई सरकारी कंपनी बनी है वह भारत ही नहीं पूरी दुनिया में ताल ठोकने के लिए तैयार हैं। देश के रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर की संभावनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 2022 तक यह 85 हजार करोड़ से बढ़कर एक लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा। उन्होंने कहा,“वर्ष 2047 तक भारत में डिफेंस और एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग का बाजार पांच लाख करोड का हो जाएगा और इसमें निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी अभी 18000 करोड रुपए है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब बाजार 5 लाख करोड़ का होगा तो रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों का कितना योगदान होगा।”
उन्होंने कहा कि फिक्की को भी देश में बन रहे इस इकोसिस्टम को बढ़ाने तथा मजबूत बनाने में हर संभव प्रयास तथा योगदान देना चाहिए। इस मौके पर उन्होंने चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा “ भगवान ने हमें कुछ ऐसे पड़ोसी भी दिए हैं जो भारत की हस्ती और हैसियत को देखकर कुछ अच्छा महसूस नहीं करते । एक है जो देश के विभाजन से पैदा हुआ और जब से पैदा हुआ है भारत की प्रगति को देख देखकर चिंता में दुबला हुआ जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तरी सीमा पर जो दूसरा पड़ोसी है वह भी हर रोज नए-नए पर परपंच रचता रहता है।” उन्होंने कहा कि इस तरह के पड़ोसियों से निपटने के लिए जरूरी है कि भारत अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत बनाएं जिससे कि वह दुश्मन की हर नापाक हरकत का जवाब दे सके।
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