तीन अक्टूबर की घटना का असर आगामी चुनाव में लखीमपुर खीरी में भाजपा पर पड़ सकता है: स्थानीय निवासी
तीन अक्टूबर की घटना का असर आगामी चुनाव में लखीमपुर खीरी में भाजपा पर पड़ सकता है: स्थानीय निवासी
लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश), 02 फरवरी। उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में निघासन विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तिकोनिया में तीन अक्टूबर को हुई घटना का असर पड़ सकता है।
तिकोनिया निघासन विधानसभा क्षेत्र में स्थित वही जगह है जहां पर पिछले साल तीन अक्टूबर को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के एक तल्ख बयान और तीन नए कृषि कानूनों के किसानों के विरोध के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे। इस मामले में टेनी के बेटे आशीष को मुख्य अभियुक्त के तौर पर गिरफ्तार किया गया है।
तिकोनिया की घटना को लेकर जिले के सिख समुदाय ने कथित तौर पर अपने सदस्यों से भाजपा के चुनाव प्रचार से दूर रहने को कहा है।
तिकोनिया से कुछ दूरी पर स्थित कौड़ियाला घाट गुरुद्वारा में सोमवार को ‘अमावस’ पर्व में शामिल होने आए जिले के पलिया, निघासन, गोला गोकर्ण नाथ, श्रीनगर और लखीमपुर क्षेत्रों के विभिन्न गांवों के निवासी सिख समुदाय के कई लोगों ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि तिकोनिया में हुई घटना का जख्म बहुत गहरा है और इसका असर भाजपा को चुनाव परिणामों में दिखाई देगा।
उन्होंने कहा कि किस पार्टी को समर्थन देना है, यह माहौल देखकर तय किया जाएगा।
निघासन क्षेत्र के खरेटिया गांव के रहने वाले किसान स्वर्ण सिंह ने कहा ‘‘किसान सितंबर 2021 में पलिया के सम्पूर्णानगर में नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को खुलेआम धमकी देने के कारण टेनी से पहले ही नाराज थे। तिकोनिया कांड ने आग में घी डाल दिया है। जिनके घर के लोग तिकोनिया कांड में मारे गए, क्या वे उस वारदात को भूल पाएंगे।’’
तिकोनिया गांव निघासन विधानसभा क्षेत्र में आता है निघासन क्षेत्र में करीब 15000 सिख मतदाता हैं। वैसे, यह मुस्लिम बहुल सीट है। यहां लगभग 80000 मुस्लिम मतदाता हैं। इसके अलावा करीब 28000 मौर्य तथा लगभग 22000 कुर्मी वोटर हैं।
तिकोनिया के पड़ोस में ही स्थित सहन खेड़ा गांव के पूर्व प्रधान अहमद खान का कहना है कि तिकोनिया कांड के बाद सिखों में भाजपा को लेकर इस कदर नाराजगी है कि वे जगह-जगह यह घोषणा कर रहे हैं कि अगर सिख समुदाय का कोई व्यक्ति भाजपा का झंडा लगाएगा तो उससे कोई रिश्ता नहीं रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि अगर सिख समुदाय भाजपा के खिलाफ किसी पार्टी को एकमुश्त वोट देगा तो चुनाव परिणाम पर बहुत असर पड़ेगा।
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हालांकि तिकोनिया में सिख समुदाय को छोड़कर बाकी वर्गों में टेनी के खिलाफ आक्रोश नजर नहीं आया। क्षेत्र के ज्यादातर लोगों का कहना है कि वह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और यह टेनी की बदकिस्मती थी।
तिकोनिया गांव के प्रधान शफीक अहमद का कहना है,‘‘ सिखों को छोड़कर बाकी लोगों को टेनी से कोई शिकायत नहीं है। यह टेनी का दुर्भाग्य था कि तिकोनिया में तीन अक्टूबर को वह घटना हो गई। वरना निघासन सीट से भाजपा के टिकट पर टेनी के बेटे आशीष चुनाव लड़ने वाले थे और वह जीत भी जाते। मगर तिकोनिया कांड में गिरफ्तारी के बाद आशीष के राजनीतिक कैरियर पर फिलहाल ग्रहण लग गया है। ’’
उन्होंने कहा,‘‘ निघासन मुस्लिम बहुल इलाका है, मगर भाजपा का सांसद होने के बावजूद यहां सभी वर्गों में टेनी की छवि अच्छी है। उन्होंने बिना किसी भेदभाव के सबके लिए काम किया है। हालांकि तिकोनिया की घटना ने हालात को काफी हद तक बदल दिया है और अब यहां सपा का पलड़ा भारी लग रहा है।’’
गौरतलब है कि विपक्षी दलों ने तिकोनिया कांड को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा पर जोरदार हमले किए थे और वे टेनी की भी गिरफ्तारी और बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं।
हालांकि तिकोनिया से महज तीन किलोमीटर दूर अजय मिश्रा टेनी के पुश्तैनी गांव बनवीरपुर में लोगों की राय टेनी के प्रति सहानुभूति से भरी है।
बनवीरपुर में मेडिकल स्टोर संचालित करने वाले मुकेश कुमार का कहना है कि तिकोनिया की घटना के बाद यहां का माहौल अब पूरी तरह से टेनी के पक्ष में हो गया है, अगर तिकोनिया की घटना नहीं हुई होती तो समाजवादी पार्टी के पास अच्छा मौका हो सकता था।
अपने इस दावे के पीछे दलील देते हुए उन्होंने कहा कि सभी लोग जानते हैं कि वह घटना टेनी ने नहीं करवाई थी, इसके अलावा आशीष घटनास्थल पर मौजूद थे या नहीं, यह भी अभी सवालों के घेरे में है, ऐसे में सहानुभूति पूरी तरह से टेनी के साथ है।
गांव में उर्वरक और कीटनाशक की दुकान चलाने वाली नीरज कुमार का कहना है कि पहले जो लड़ाई हिंदू-मुस्लिम के बीच होती थी वह अब हिंदुओं और सिखों के बीच हो गई है और तिकोनिया की घटना के बाद सिखों के विरोध में यहां का हिंदू एकजुट हो गया है।
टेनी की गिनती लखीमपुर खीरी के बड़े नेताओं में होती है। वर्ष 2011 में निघासन थाने में एक लड़की की बलात्कार के बाद हत्या के मामले में चले आंदोलन की अगुवाई करने से उनका प्रभाव लगातार बढ़ता गया और अगले साल हुए विधानसभा चुनाव में वह निघासन सीट से भाजपा के टिकट पर विधायक बने। उसके बाद 2014 और 2019 में वह लखीमपुर खीरी से सांसद चुने गए।
टेनी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में पलिया, निघासन, लखीमपुर, श्रीनगर और गोला गोकर्ण नाथ सीटें आती हैं। वर्ष 2017 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में लखीमपुर खीरी जिले की सभी आठों सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी।
बहरहाल, लखीमपुर से सांसद होने के बावजूद जिले में विधानसभा चुनाव प्रचार में अजय मिश्रा टेनी की कोई खास सक्रियता नजर नहीं आ रही है। भाजपा टेनी को आगे करके फिलहाल कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती।
निघासन विधानसभा सीट से भाजपा ने मौजूदा विधायक शशांक वर्मा को ही दोबारा प्रत्याशी बनाया है जबकि सपा ने पूर्व विधायक आर एस कुशवाहा को टिकट दिया है। बसपा ने रफी अहमद उस्मानी और कांग्रेस ने अटल शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है। जिले की आठ विधानसभा सीटों पर चौथे चरण में आगामी 23 फरवरी को मतदान होगा।
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