क्षणिक सत्संग भी भवसागर से पार कर देता है : मुरलिका जी..
क्षणिक सत्संग भी भवसागर से पार कर देता है : मुरलिका जी..
- हाथरस के हर क्षण में रस और सत्संग है
- महाज्ञानी भी सत्संग के लिए लालायित रहते हैं
हाथरस, महा ज्ञानी भी सत्संग के लिए लालायित रहते हैं। नारद जी, उद्धव जी, सनकादिक, हनुमान जी आदि महान ज्ञानी हैं, लेकिन सत्संग के लिए यह भी लालायित रहते। सत्संगत दुर्लभ संसारा, निमिष दंड भरि एकउ बारा। बड़े भाग्य पाईय सतसंगा, बिनहिं प्रयास होंहिं भवभंगा।। अर्थात सत्संग एक क्षण भी भव से पार करने वाला है। सत्संग बड़े भाग्य से मिलता है। जिसमें कि हाथरस तो संगत और रस की नगरी है।यह उद्गार विश्वविख्यात श्रीमद्भागवत प्रवक्ता बृज बालिका मुरलिका जी ने मुरलीधर गजानन मिल कंपाउंड, सादाबाद गेट पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में दूसरे दिन सोमवार को व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि सत्संग और रसकी महिमा हमने फिर देखी है। हाथरस जिसको ब्रज का द्वार भी कहते हैं वाकई रस और सत्संग की नगरी है। कल की कलश यात्रा में देखने में फिर मिला। उन्होंने इस अवसर पर भागवत की महत्वपूर्णता पर प्रकाश डाला। भागवत क्यों और किस लिए हुई और सभी को क्यों सुननी चाहिए, के संबंध में कथा व्यास जी ने कथा से कल्याण की कल्पना को यथार्थ में श्रोताओं के सब्र को संतुष्टि परिवर्तित किया। व्यवस्था में ब्रज बरसाना मंडल के अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल पीएनबी, जितेंद्र वार्ष्णेय, अमित गोयल, रवींद्र वार्ष्णेय, अशोक कुमार चौधरी, प्रदीप अग्रवाल पीएनबी, योगेंद्रमोहन शर्मा, लक्ष्मीनारायण वार्ष्णेय, जमुना प्रसाद, दिवाकर गुप्ता, अशोक कुमार अग्रवाल, सचिन अग्रवाल, अशोक अग्रवाल स्टेनो, शरद अग्रवाल, देव वार्ष्णेय, विष्णु शर्मा, आशीष जैन, विकास अग्रवाल, संदीप माहेश्वरी, मुकेश शर्मा, पंकज गुप्ता, राघव वार्ष्णेय, संजय केशव दीक्षित आदि लोग उपस्थित थे।
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