केंद्र ने अफस्पा को 6 महीने के लिए बढ़ाया

केंद्र ने नागालैंड में अफस्पा को 6 महीने के लिए बढ़ाया

नई दिल्ली, 30 दिसंबर। केंद्र ने गुरुवार को नागालैंड में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम, 1958 या अफस्पा को और छह महीने के लिए बढ़ा दिया, जिसमें उल्लेख किया गया कि राज्य ऐसी “अशांत और खतरनाक स्थिति” में है कि सशस्त्र बलों का उपयोग नागरिक शक्ति की सहायता में बलों की आवश्यकता है। नागालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव के पास कथित रूप से खराब सुरक्षा अभियान के बाद पूर्वोत्तर राज्य से इसे वापस लेने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक गजट अधिसूचना के माध्यम से घोषणा की गई थी, जिसमें 4 दिसंबर को 14 नागरिकों और एक जवान की मौत हो गई थी। नागरिकों की मौत के बाद अफस्पा कानून को वापस लेने की मांग जोर पकड़ रही है। नागालैंड में विवादित कानून सशस्त्र बल (विशेष) अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) को छह महीने (30 जून 2022) तक के लिए बढ़ा दिया गया है। गृह

मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है। यह कानून सेना को राज्य के अशांत क्षेत्र में कहीं भी स्वतंत्र रूप से संचालित करने के लिए व्यापक अधिकार देता है। जिन क्षेत्रों में एएफएसपीए (अफस्पा) लागू है, वहां किसी भी सैन्यकर्मी को केंद्र की मंजूरी के बिना हटाया या परेशान नहीं जा सकता है। इसके अलावा इस कानून को उन इलाकों में भी लगाया जाता है जहां पुलिस और अर्द्धसैनिक बल आतंकवाद, उग्रवाद या फिर बाहरी ताकतों से

लिंक पर क्लिक कर पढ़िए ”दीदार ए हिन्द” की रिपोर्ट

यूरोपीय देशों ने नए साल से पहले कोविड उपायों को और कड़ा किया

लड़ने में नाकाम साबित होती हैं।यह केंद्र सरकार द्वारा नागालैंड से सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम, 1958 (अफस्पा) को वापस लेने का सुझाव देने के लिए सात सदस्यीय समिति के गठन के कुछ ही दिनों बाद आया है और तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। बता दें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 23 दिसंबर को नागालैंड के वर्तमान परिदृश्य पर चर्चा करने के लिए अपने आवास पर एक बैठक की अध्यक्षता करने के बाद यह निर्णय लिया।बैठक में नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो और उनके असम के समकक्ष हिमंत बिस्वा सरमा ने भाग

लिया। इस कानून के तहत सैनिकों को कई विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, जैसे किसी को बिना वॉरेंट के गिरफ्तार करना और संदिग्ध के घर में घुसकर जांच करने का अधिकार, पहली चेतावनी के बाद अगर संदिग्घ नहीं मानता है तो उसपर गोली चलाने का अधिकार। गोली चलाने के लिए किसी के भी आदेश का इंतजार नहीं करना, उस गोली से किसी की मौत होती है तो सैनिक पर हत्या का मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता। अगर राज्य सरकार या पुलिस प्रशासन, किसी सौनिक या सेना की टुकड़ी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करती है तो कोर्ट में उसके अभियोग के लिए केंद्र सरकार की इजाजत जरूरी होती है। अफस्पा को वापस लेने के लिए नगालैंड की राजधानी कोहिमा समेत कई जिलों में विरोध प्रदर्शन भी हुए। इसमें अफस्पा को बैन करने की मांग की गई। भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी 5 सदस्यीय समिति की अगुवाई करेंगे, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल समिति के सदस्य सचिव होंगे।

लिंक पर क्लिक कर पढ़िए ”दीदार ए हिन्द” की रिपोर्ट

कोविड-19 के मामलों में अचानक वृद्धि से चीन की ‘शून्य मामले की नीति’ दबाव में

Related Articles

Back to top button