उपचुनाव में निर्वाचित प्रतिनिधियों को कड़ा संदेश

मप्र के उपचुनाव में निर्वाचित प्रतिनिधियों को कड़ा संदेश

भोपाल, 03 नवंबर। मध्य प्रदेश में हुए उपचुनाव सियासी तौर पर निर्वाचित प्रतिनिधियों केा बड़ा संकेत देने वाले रहे हैं। नतीजे बताते हैं कि सभी इलाकों में अपने पूर्व में निर्वाचित स्थानीय प्रतिनिधि को लेकर मतदाताओं में संतोष तो नहीं था। खंडवा संसदीय क्षेत्र में भाजपा का जीत का अंतर बहुत कम हुआ है तो वही तीन विधानसभा क्षेत्रों ने अपने यहां बदलाव कर दिया है।

राज्य के सबसे रोचक मुकाबला और महत्वपूर्ण पृथ्वीपुर विधानसभा में माना जा रहा था। यहां पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर के निधन के कारण उप-चुनाव हुआ और कांग्रेस ने उनके बेटे नितेंद्र सिंह राठौर को उम्मीदवार बनाया था। इस सीट पर कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही थी और यही कारण था कि भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी।

पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र तो सियासी मैदान का अखाड़ा ही बन गया था। यहां भाजपा के कई मंत्री और विधायक डेरा डाले रहे तो साथ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने पूरी ताकत झोंक दी थी। दूसरी ओर कांग्रेस का सारा दारोमदार पूर्व मुख्यमत्री कमल नाथ और स्थानीय नेताओं पर था। कुल मिलाकर भाजपा की डॉ शिशुपाल सिंह यादवको बड़ी जीत हासिल हुई।

बात सतना की रैगांव विधानसभा सीट की करें तो यहां की जनता ने की अपने प्रतिनिधि में बदलाव किया है। इस बार यहां भाजपा की हार मिली है। यहां कांग्रेस लगभग तीन दशक बाद जीतने में सफल हुई है। यह कांग्रेस ने अपनी रणनीति के मुताबिक पिछला चुनाव हारने वाली कल्पना

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वर्मा को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया तो वहीं भाजपा ने परिवारवाद के दरकिनार करते हुए प्रतिमा बागरी को मैदान में उतारा। पार्टी के भीतर बड़े पैमाने पर विरोध था और उसका नतीजा सामने आया, परिणाम स्वरूप कांग्रेस के खाते में जीत गई।

बात अगर अलीराजपुर के जोबट विधानसभा की करें तो यहां पिछला चुनाव कांग्रेस की कलावती भूरिया ने जीता था और उनके निधन के कारण उपचुनाव हुआ था। यहां कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई सुलोचना रावत को मैदान में उतारा और यह फैसला भाजपा के लिए फायदेमंद रहा। सुलोचना रावत ने जीत दर्ज की।

खंडवा संसदीय क्षेत्र की बात करें तो यहां शुरूआती दौर में मुकाबला कमजोर लग रहा था मगर कांग्रेस ने टक्कर दी। यहां बीते एक साल से पूर्व मंत्री अरुण यादव तैयारी कर रहे थे मगर पारिवारिक कारणों से चुनाव लड़ने से इनकार किया तो पार्टी ने राज नारायण को मैदान में उतारा। पिछले चुनाव में नंदकुमार सिंह चौहान लगभग पौने तीन लाख वोटों से जीते थे,तो वही इस बार का अंतर 82 हजार पर आकर सिमट गया । भाजपा के ज्ञानेश्वर पाटिल ने जीत दर्ज की।

कुल मिलाकर इन चारों चुनाव पर गौर किया जाए तो जनता ने एक संदेश तो दे ही दिया है कि अगर स्थानीय जनप्रतिनिधि उसकी इच्छा पर खरा नहीं उतरेगा, तो वह सबक सिखाने में पीछे नहीं रहेगी । यही कारण रहा कि जिन स्थानों पर पिछले चुनाव में कांग्रेस जीती थी पृथ्वीपुर और जोबट तो वहां अब भाजपा में कब्जा किया है। इसके अलावा रैगांव की जनता ने भाजपा को हराकर कांग्रेस के उम्मीदवार को चुना है इसकी तरह खंडवा में भी भाजपा की जीत का अंतर एक चौथाई के करीब रह गया है।

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