उच्च शिक्षा संस्थान युवाओं को 21 सदी के कौशल से निखारें : नायडू
उच्च शिक्षा संस्थान युवाओं को 21 सदी के कौशल से निखारें : नायडू

बेंगलुरु, 15 नवंबर। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को उच्च शिक्षा संस्थानों का आह्वान किया कि वे युवाओं को 21वीं सदी के कौशल से निखारें। नायडू ने साथ ही कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रही है और भारत इस अवसर को गंवाने का जोखिम नहीं उठा सकता। उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को ”अक्षरश:” लागू करने का भी आह्वान किया।
नायडू ने कहा, ”आज, चौथी औद्योगिक क्रांति हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रही है और यह ज्ञान अर्थव्यवस्था और अत्याधुनिक तकनीकी नवाचारों से संचालित है। हम इस अवसर को गंवाने का जोखिम नहीं उठा सकते और हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों को हमारे युवाओं को 21 वीं सदी के कौशल से निखारना चाहिए।”
उन्होंने यहां पीईएस विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में कहा कि एनईपी-2020 का उद्देश्य देश के उच्च शिक्षण संस्थानों को ज्ञान अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के लिहाज से परिवर्तित करना और उन्हें नया रूप देना है।
उन्होंने कहा, ”नई शिक्षा नीति एक अच्छी तरह से प्रलेखित, अच्छी तरह से शोधित और अच्छी तरह से विचार के बाद तैयार किया गया नीति दस्तावेज है। इसे सभी हितधारकों और हर विश्वविद्यालय एवं शैक्षणिक संस्थान, राज्य और केंद्र सरकार के संस्थानों के साथ एक लंबी, विस्तृत चर्चा के बाद देश के सामने पेश किया गया है। नीति को गंभीरता से और ईमानदारी से लागू किया जाना चाहिए।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय की कक्षाओं को उभरते वैश्विक रुझानों जैसे कि 5जी-आधारित प्रौद्योगिकियों के साथ संरेखित करने की तत्काल आवश्यकता है, जिसका उपयोग कृषि, चिकित्सा, प्रशासनिक, वाणिज्य और औद्योगिक प्रबंधन सहित कई क्षेत्रों में होता है।
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डीआरडीओ और इसरो के सहयोग से पीईएस विश्वविद्यालय के छात्रों एवं कर्मचारियों द्वारा दो उपग्रहों के निर्माण और प्रक्षेपण की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि सरकार अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंतरिक्ष क्षेत्र में दूरगामी सुधार लायी है।
उन्होंने कहा, ”मैं अपने निजी संस्थानों और विश्वविद्यालयों से इस अवसर का सर्वोत्तम उपयोग करने और भारत को आत्मनिर्भर एवं अंतरिक्ष क्षेत्र में तकनीकी रूप से उन्नत बनाने की दिशा में काम करने का आग्रह करूंगा।”
उन्होंने कहा कि ड्रोन प्रौद्योगिकी एक और उभरता हुआ क्षेत्र है जो कृषि, निगरानी, परिवहन, रक्षा और कानून प्रवर्तन सहित अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों को जबरदस्त लाभ प्रदान करता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ड्रोन सेवा उद्योग से अगले तीन वर्षों में पांच लाख से अधिक नौकरियां उत्पन्न होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, ”हमें इस क्षेत्र के लिए कुशल जनशक्ति बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए ….. वास्तव में, हमारे सभी उच्च शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय जरूरतों के बारे में अवगत होना चाहिए। उन्हें अपने मौजूदा पाठ्यक्रमों की समीक्षा करते हुए उसे उभरते वैश्विक रुझानों के साथ संरेखित करना चाहिए या उनके अनुरूप नये पाठ्यक्रम शुरू करना चाहिए।”
नायडू ने कहा कि 21वीं सदी में, वैश्विक अर्थव्यवस्था में ज्ञान संबंधी गतिविधियों का बोलबाला है। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य 2050 तक अरबों डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है और एनईपी-2020 आने वाले समय में इसमें से कम से कम 50 प्रतिशत, ज्ञान से संबंधित गतिविधियों और कौशल से आने का लक्ष्य निर्धारित करता है। भारत को ज्ञान शक्ति में बदलने में तकनीकी विश्वविद्यालयों की विशेष भूमिका है।”
नायडू ने अकादमिक पत्रिकाओं के स्वदेशी प्रकाशन का भी आह्वान किया कि वे इस देश में उत्पन्न ज्ञान के कॉपीराइट और स्वामित्व को बनाए रखें, जो ऐसा न होने की स्थिति में अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में स्थानांतरित होने की संभावना है।
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